धरने के दौरान किसान जिलाधिकारी से मिले और एनजीटी के निर्देशों की जानकारी दी। वहीं सरकार द्वारा ट्रैक्टर पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने को लेकर भी किसानों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि इससे पहले किसी सरकार ने किसानों पर ट्रैक्टर खरीद पर टैक्स नहीं लगाया था। नाराज किसानों का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार उनके साथ धोखा कर रही है। वहीं एनजीटी के फैसले में भी सरकार किसानों के बजाय एनजीटी के पक्ष में खड़ी है। किसानों का कहना है कि ये उद्योगपतियों की सरकार है इसलिए किसानों का शोषण करके उद्योगपतियों को फायदा पहुंचा रही है।
किसानों का कहना था कि बहुत से ऐसे किसान हैं जिनके पास 50 साल पुराना ट्रैक्टर है। वे उसको सही करके खेती बाड़ी में काम कर रहे हैं। लेकिन सरकार की सोची समझी साजिश के तहत पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। किसानों ने कहा है कि वे सरकार के खिलाफ अब आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे। किसान नेता राजपाल ने कहा कि हम अपने ट्रैक्टर जिलाधिकारी कार्यालय में खड़ा करेंगे क्योंकि किसानों के पास इतना पैसा नहीं है कि वे नए ट्रैक्टर खरीद सकें। वहीं जिलाधिकारी ने आश्वस्त किया कि प्रशासन किसानों के साथ है और उनके हित के लिए काम करेगा। किसानों ने मांग की है कि ट्रैक्टर पर 12 फीसदी जीएसटी को खत्म किया जाए। चौधरी चरण सिंह ने कहा था कि ट्रैक्टर किसान की बुग्गी है, उसकी रोजी-रोटी है। वहीं किसानों ने कहा कि आलू और गेहूं को लेकर किसान परेशान है तो बिजली की समस्या भी किसानों पर भारी पड़ रही है।