कासगंज हिंसा का शिकार अकरम हबीब लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं। वो अपनी गर्भवती पत्नी की डिलीवरी कराने कार से अलीगढ़ जा रहे थे। उन्होंने बताया कि रास्ते में ये हादसा हो गया। कुछ लोगों ने उन पर हमला किया। उन्हें ईंट-पत्थरों से मारा। हमलावरों ने यह भी नहीं सोचा कि ये आदमी यहां का नहीं राहगीर है। इंसान नहीं, उनको शैतान ने बरगलाया था। उनमें कुछ लोग अच्छे भी थे। जिन्होंने मुझे जाने दिया। घायल अकरम ने कहा कि मैं तो वक्ती तौर पर वहां था, लेकिन उस परिवार पर क्या बीतती रही होगी, जिसने अपना बेटा खो दिया। मेरा हिन्दू भाई मारा गया।
घायल अकरम हबीब ने अपील करते हुए कहा कि मुस्लिम और हिन्दू भाई से आपस में मिलजुल कर रहे। हर इंसान एक इंसान है। बाद में वो हिन्दू और मुसलमान है। आज कुछ अच्छ लोगों की बदौलत ही मैं अपनी बेटी को देख पाया। जुल्म करने के बाद उन लोगों ने मुझे जिंदगी दे दी। बस दुआ है अल्ला से, उनको हिदायत दे। उनके दिल की गंदगी हटाकर सुकून और अमन से जीना सिखाए। हिंसा में जख्म मिलने के बाद भी घायल अकरम हबीब की ये अपील उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं।