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Explainer : क्या होता है एग्जिट पोल? जानिए इसके नियम, आखिर क्यों नहीं होते सटीक

Lok Sabha Elections 2024 : एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे है, जो मतदान के दिन किया जाता है। इसमें मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है। पढ़िए अनंत मिश्रा की खास रिपोर्ट...

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Lok Sabha Elections 2024 : देश में 18वीं लोकसभा के लिए करीब ढाई महीने तक चले चुनाव के सातवें और आखिरी चरण में आज हो रहे मतदान पर सभी की निगाहें केंद्रित हैं। मतदान पूरा होने के साथ ही शाम 6.30 बजे के बाद एग्जिट पोल के नतीजों से अनुमानों का बाजार सजने लगेगा। टीवी चैनल, विभिन्न एजेंसियों के सहयोग से बताएंगे कि कौनसा दल या गठबंधन अगली सरकार बना सकता है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर से एग्जिट पोल वास्तविक नतीजों के आसपास कितना ठहरते हैं? सवाल ये भी ऐसे एग्जिट पोल का आधार क्या होता है! लगभग 96 करोड़ मतदाताओं में से चंद हजार मतदाताओं की रायशुमारी के आधार पर क्या सटीक नतीजों का पूर्वानुमान लगाना संभव है। पिछले ढाई दशक में अनेक ऐसे मौके आए हैं जब अनुमानों का ये बाजार औंधे मुंह गिरा है। कांग्रेस ने कहा कि इस बार एग्जिट वोट को लेकर टीवी चैनलों पर होने वाली बहसों में वह हिस्सा नहीं लेगी। क्योंकि, ऐसी बहसें चैनलों के टीआरपी बढ़ाने का तरीका है।

चंद लोगों से रायशुमारी है एग्जिट पोल का आधार

पिछले एग्जिट पोल और वास्तविक नतीजे 2004

चैनल/एजेंसी भाजपा कांग्रेस अन्य
एसी नीलसन 240 198 110
ओआरजी मार्ग 248 190 105
सी वोटर 263 180 92

वास्तविक नतीजे 181 208 59

निष्कर्ष: औंधे मुंह गिरे थे एक्जिट पोल

सभी एग्जिट पोल अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाले भाजपा गठबंधन को बहुमत के समीप दिखा रहे थे, जब नतीजे आए तो अनुमानों का बाजार पूरी तरह ढह गया था। भाजपा गठबंधन महज 181 सीटों पर सिमट गया था। कांग्रेस गठबंधन को 208 सीटें मिलीं। मनमोहन सिंह की सरकार बनी।

2009

चैनल/एजेंसी भाजपा कांग्रेस अन्य
सीएनएन 175 195 150
स्टार-नीलसन 196 199 136
सी वोटर 189 195 144

वास्तविक नतीजे 159 262 106

निष्कर्ष: गलत निकला था, कांटे की टक्कर का अनुमान
सभी एग्जिट पोल कांग्रेस गठबंधन को 200 से कम और भाजपा गठबंधन को 190 के आसपास सीटें दे रहे थे। नतीजे आए तो मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाला कांग्रेस गठबंधन 262 सीटें लेकर एक बार फिर सरकार बनाने में कामयाब रहा था।

2014

चैनल/ एजेंसी भाजपा कांग्रेस अन्य
सीएनएन-आईबीएन 276 97 148
इंडिया टूडे 272 115 156
चाणक्य 340 70 133

वास्तविक नतीजे: 336 66 147

निष्कर्ष: अधिकांश पोल भांप नहीं पाए थे हवा

ज्यादातर चैनलों ने भाजपा गठबंधन को 272 से 276 के करीब अनुमानित सीटें दिखाई थी। लेकिन, नतीजों में उसे 336 सीटें मिलीं और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। उस समय सिर्फ चाणक्या का एग्जिट पोल वास्तविक नतीजों के करीब रहा था।

2019

चैनल/एजेंसी भाजपा कांग्रेस अन्य
टाइम्स नाऊ 306 132 104
टूडे चाणक्य 340 70 133
सी-वोटर 287 128 127

वास्तविक नतीजे 352 97 94

निष्कर्ष: सटीक अनुमानों से दूर

अधिकांश एग्जिट पोल भाजपा गठबंधन को 267 से 305 सीटें दे रहे थे, जबकि वास्तविक नतीजों में गठबंधन को 352 सीटों पर जीत मिली थी और मोदी के नेतृत्व में भाजपा फिर एक बार सरकार बनाने में कामयाब रही थी। सिर्फ चाणक्या का आकलन नतीजों के आसपास रहा।

एग्जिट पोल क्या होता है?

एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे है, जो मतदान के दिन किया जाता है। इसमें मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं से पूछा जाता है कि उन्होंने किस पार्टी या प्रत्याशी को वोट दिया है। इसमें विभिन्न जाति एवं आयुवर्ग के मतदाताओं से बातचीत की जाती है। इस तरह से प्राप्त आंकड़ों का विश्लेषण करके यह अनुमान लगाया जाता है कि चुनावी नतीजे क्या होंगे। भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत 1996 में हुई थी। इसे दूरदर्शन ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डवलपिंग सोसाइटीज के माध्यम से कराया था। इस एग्जिट पोल में अनुमान लगाया गया था कि भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव जीतेगी।

क्या कहते है नियम?

भारत में एग्जिट पोल को लेकर कुछ नियम और कानून भी हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम १९५१ की धारा १२६ ए के अनुसार मतदान प्रक्रिया जारी रहने के दौरान एक्जिट पोल का प्रसारण प्रतिबंधित है। मतदान समाप्त होने के बाद एग्जिट पोल दिखाए जा सकते हैं। मतदान के दौरान एक्जिट पोल दिखाए जाने से मतदान प्रभावित होने की आशंका रहती है।

बिहार में हुआ था उलटफेर

सन् 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में अधिकांश एग्जिट पोल में भाजपा को 111 से लेकर 155 सीटें दिखाई गई थी। यानी बहुमत वाली सरकार! लेकिन जब नतीजे आए तो भाजपा सिर्फ 58 सीटों पर सिमट गई थी और जनता दल यू गठबंधन 178 सीटें लेकर आया था।

इसलिए खड़े होते हैं सवाल

एग्जिट पोल के गलत साबित होने पर सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर इनकी आवश्यकता क्या है? एग्जिट पोल की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वालों का तर्क है कि 96 करोड़ मतदाताओं वाले विशाल देश में कुछ हजार मतदाताओं से रायशुमारी के आधार पर किए जाने वाले एक्जिट पोल का क्या औचित्य है? सवाल उठाने वालों का तर्क है कि रायशुमारी में शामिल होने वाला मतदाता सही बोल रहा है ये कैसे माना जा सकता है?

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