अलीगढ़

22 साल पहले इलाहाबाद में बिछड़ा युवक पहुंचा घर तो परिजनों की खुशी का नहीं रहा ठिकाना

जिले में एक हैरान कर खुशी देने वाला मामला सामने आया है। लोधा थाना क्षेत्र के गांव मीर की नगरिया का रविन्द्र इलाहाबाद में स्नान के दौरान 22 साल पहले लापता हो गया था। स्नान के दौरान लापता होने पर परिवार के लोगों ने काफी तलाशने के बाद उसको मृत मान लिया था, लेकिन 22 साल बाद वह परिजनों के पास पहुंच तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

अलीगढ़Nov 23, 2021 / 01:59 pm

lokesh verma

अलीगढ़. जिले में एक हैरान कर खुशी देने वाला मामला सामने आया है। लोधा थाना क्षेत्र के गांव मीर की नगरिया का रविन्द्र इलाहाबाद में स्नान के दौरान 22 साल पहले लापता हो गया था। स्नान के दौरान लापता होने पर परिवार के लोगों ने काफी तलाशने के बाद उसको मृत मान लिया था, लेकिन 22 साल बाद वह परिजनों के पास पहुंच तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। रविंद्र के अचानक आने से परिवार में खुशी का माहौल है।
जानकारी के अनुसार, गांव मीर की नगरिया निवासी गंगा सहाय का बेटा रविंद्र 22 वर्ष पहले गांव के कुछ किसान नेताओं संग मकर संक्रांति के मौके पर इलाहाबाद में गंगा स्नान करने गया था। स्नान के बाद वह अचानक लापता हो गया, जिसके बाद अपने घर वापस नहीं लौटा। लापता हुए रविंद्र को उसके परिवार के लोगों ने इलाहाबाद से लेकर सभी रिश्तेदारी में तलाशा, लेकिन रविंद्र का कोई सुराग नहीं लगा। लापता का सुराग न मिलने पर समय बीतता गया। समय के साथ रविंद्र के परिजनों ने उसको मृत मान लिया। लेकिन, परिवार के लोग जिस रविंद्र को लापता होने के बाद मृत समझ चुके थे, उसके एक दिन अचानक जिंदा होने की खबर पहुंच गई।
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लोधा थाना पुलिस को राजस्थान के भरतपुर जिला पुलिस ने रविंद्र के जिंदा होने की सूचना दी। सूचना मिलते ही रविंद्र के परिजन राजस्थान के भरतपुर जिले के अछनेरा रोड स्थित चिकसाना बझेड़ा के अपना घर आश्रम पहुंच गए। परिजनों के आश्रम में पहुंचते ही रविन्द्र ने अपने ताऊ के बेटे मलखान सिंह को देखते ही पहचान लिया। जिसके बाद परिवार के लोग अपने लापता हुए सदस्य को आश्रम से घर लेकर पहुंचे। रविंद्र को देखने के लिए लोगों का जमावड़ा लगा है। लापता बेटे को पाकर परिवार में भी खुशी का माहौल है।
चली गई थी याददाश्त

22 साल के बाद अपने परिवार के बीच पहुंचने पर रविंद्र ने परिवार के लोगों को बताया कि गंगा स्नान करने के बाद वह वाराणसी पहुंच गया था। नशे के चलते वह याददाश्त खो बैठा था। कुछ दिनों तक उसने वाराणसी के पास एक गांव में मेहनत मजदूरी कर अपना जीवन काटा। कुछ सालों के बाद मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने पर वाराणसी से भरतपुर पहुंच गया था। जहां कुछ लोगों ने उसको सड़कों पर लावारिस हालत में घूमते पाया तो अपना घर आश्रम में रखवा दिया। जहां इलाज के दौरान बाद में धीरे-धीरे उसकी याददाश्त वापस लौट आई। याददाश्त वापस लौटने पर उसने नवंबर 2021 की शुरुआत में इलाज कर रहे डॉक्टरों को अपना पूरा परिचय दिया।
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