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प्रयागराज

एससी सर्टिफिकेट फार्मेट में नहीं होने पर सामान्य अभ्यर्थी मानना गलत: हाईकोर्ट

कोर्ट ने भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह याची को अनुसूचित जाति का मानते हुए आदेश पारित करें

प्रयागराजJul 19, 2018 / 10:37 pm

Akhilesh Tripathi

allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद. हाईकोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र यदि फार्मेट में नहीं है तो इस कारण से उसे सामान्य अभ्यर्थी नहीं माना जा सकता। कांस्टेबल भर्ती में पुलिस भर्ती बोर्ड द्वारा याची को आरक्षित श्रेणी में स्वीकार करने से इंकार करना उचित नही माना जा सकता।
कोर्ट ने भर्ती बोर्ड को निर्देश दिया है कि वह याची को अनुसूचित जाति का मानते हुए आदेश पारित करें, साथ ही स्प्ष्ट किया है कि जाति प्रमाणपत्र की जांच नियुक्ति पत्र जारी करते समय की जा सकती है, किंतु फार्मेट में न होने से सरकारी अधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र मानने से इंकार करना उचित नहीं है।

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र नेअजीत कुमार की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है।याचिका पर अधिवक्ता आर श्रीवास्तव ने बहस की।याची का कहना था कि उसने निर्धारित न्यूनतम अंक से अधिक अंक प्राप्त किये है।फिरभी उसे दस्तावेज सत्यापन व मेडिकल जांच के लिए नहीं बुलाया गया है।

सरकारी वकील का कहना था कि गौरव शर्मा केस के फैसले के अनुसार फार्मेट में जाति प्रमाणपत्र न होने से अभ्यर्थी को सामान्य श्रेणी में माना जायेगा।किन्तु कोर्ट ने इस फैसले को इस केस पर लागू नही माना और कहा कि एस सी अभ्यर्थी ओ बी सी से भिन्न है।क्रीमीलेयर के सिद्धांत इन पर लागू नही होते।अथॉरिटी प्रमाण पत्र का सत्यापन कर सकती है।किंतु उसे तकनीकी आधार पर अस्वीकार नही कर सकती।
आयोग ने आरओ, एआरओ भर्ती प्रतीक्षा सूची आदेश वापसी की मांग की
लोक सेवा आयोग ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर आरओ, एआरओ भर्ती की प्रतीक्षा सूची जारी करने के आदेश को वापस लेने की मांग की है। आयोग का कहना है कि प्रतीक्षा सूची जारी करने का आदेश एक खंडपीठ से रद्द हो चुका है इसलिए अन्य दो मामलों में हुआ इसी प्रकार का आदेश वापस लिया जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति बी अमित स्थलकर एवं न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने इस अर्जी पर सुनवाई के लिए 20 अगस्त की तारीख लगाई है। अधिवक्ता अमित कुमार के अनुसार आरओ, एआरओ के 433 पदों पर चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद 43 पद रिक्त रह गए। आयोग ने इन पदों के लि कोई प्रतीक्षा सूची नहीं जारी की तो अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। इस पर आयोग का कहा था कि 1999 के शासनादेश में प्रतीक्षा सूची नहीं जारी करने को कहा गया है।

त्रिलोकीनाथ के मामले में हाईकोर्ट ने इस शासनादेश को रद्द करते हुए प्रतीक्षा सूची जारी करने का निर्देश दिया। इसके बाद दो अन्य याचिकाओं पर भी प्रतीक्षा सूची जारी करने का आदेश हुआ। गत 11 जुलाई को सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से किसी के उपस्थित न होने पर कोर्ट ने आयोग के सचिव को तलब किया। अगली सुनवाई पर आयोग के अधिवक्ता ने बताया कि त्रिलोकीनाथ केस का आदेश विशेष अपील में निरस्त हो चुका है। दो अन्य मामलों में पारित इसी आदेश के लिए रिकॉल अर्जी दाखिल हुई है।
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