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प्रयागराज

विद्युत उपभोक्ताओं को गलत बिल भेजना आपराधिक कृत्य, नाराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से किया जवाब तलब

Allahabad High Court angry विद्युत उपभोक्ताओं को गलत बिजली बिल देने पर यूपी सरकार को आड़ें हाथों लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट कहाकि, विद्युत उपभोक्ताओं को गलत व फर्जी बिल भेजना आपराधिक कृत्य है। इस मुद्दे पर नाराज हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है।

प्रयागराजMar 06, 2022 / 03:24 pm

Sanjay Kumar Srivastava

विद्युत उपभोक्ताओं को गलत बिल भेजना आपराधिक कृत्य, नाराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से किया जवाब तलब

विद्युत उपभोक्ताओं को गलत बिल भेजना आपराधिक कृत्य, नाराज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से किया जवाब तलब

विद्युत उपभोक्ताओं को गलत बिजली बिल देने पर यूपी सरकार को आड़ें हाथों लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट कहाकि, विद्युत उपभोक्ताओं को गलत व फर्जी बिल भेजना आपराधिक कृत्य है। इस मुद्दे पर नाराज हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि, फर्जी बिल बनाकर वसूली करना उपभोक्ताओं के खिलाफ प्रतिवादियों का अवैध और मनमाना रवैया है। यह उपभोक्ताओं के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का हनन है। हाईकोर्ट ने मामले में छह सवाल खड़े करते हुए ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। साथ ही मामले में सुनवाई के लिए 14 मार्च की तिथि तय की है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने रामपुर के पुत्तन सहित दो अन्य याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करते हुए दिया है। याचिकाओं में गलत और मनमाने तरीके से बिल भेजने के आरोप लगाए गए हैं।
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फर्जी बही खाते के रखरखाव के संकेत

हाईकोर्ट ने कहा कि, प्रतिवादियों की ओर से उपलब्ध कराए गए विवरण से प्रथम दृष्टया विद्युत अधिकारियों की ओर से फर्जी बही खाते के रखरखाव के संकेत मिलते हैं। यह बिना किसी जवाबदेही के उपभोक्ताओं की काल्पनिक देनदारियों को दर्शाते रहे हैं। मामले को रोकने के लिए ठोस प्रयास भी नहीं किए गए हैं। हाईकोर्ट ने याचिकाओं में पहले से जारी अंतरिम आदेश को बढ़ा दिया और कहाकि, वर्तमान में बकाया बिलों के मामले में यह आदेश लागू नहीं होगा।
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हाईकोर्ट ने बेहद अहम सवाल उठाए

1. उपभोक्ताओं के गलत बिजली बिल तैयार करना और भेजना, उपभोक्ता बहीखाता आदि सहित अभिलेखों में फर्जीवाड़ा और फर्जी बिल बनाकर वसूलना, इस तरह के लगातार बिल भेजे जाना और उस आधार पर उपभोक्ताओं से धन की वसूली के लिए कार्रवाई करना, जिसमें जबरदस्ती गिरफ्तारी भी शामिल है, क्या प्रथम दृष्टया यह आईपीसी की धारा 166, 167, 218, 385, 471 के तहत दंडनीय आपराधिक कृत्य हैं?
2. अगर यह आपराधिक कृत्य हैं तो संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक कानून के तहत कार्रवाई की गई है?

3. क्या उपभोक्ताओं के खिलाफ अनधिकृत, अवैध, फर्जी और काल्पनिक बकाया राशि मांगें बनाना और उनसे वसूली के लिए कदम उठाना (जिसमें जबरदस्ती कार्रवाई, गिरफ्तारी शुरू करना, उन्हें परेशान करना और मुकदमेबाजी में घसीटना शामिल है) अनुच्छेद 14 और 21 के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है?
4. क्या राज्य सरकार उपभोक्ताओं के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना चाहती है?

5. क्या गलत, फर्जी बिजली बिल, रिकॉर्ड और उपभोक्ता खाता बही बनाकर मांग उठाने के मामले में दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय करने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं?
6. क्या राज्य सरकार ने उपभोक्ताओं के खिलाफ फर्जी बकाया, फर्जी मांगों की जांच के लिए कोई एजेंसी तय की है। क्या सरकार उपभोक्ता खातों और संबंधित अभिलेखों की लेखापरीक्षा का निर्देश देना चाहेगी?

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