इलाहाबाद. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी गंगा घाट से दो सौ मीटर तक अवैध निर्माण हटाने पर की गयी बीडीए की कार्रवाई पर न्यायमित्र मनीष गोयल ने मौका मुआयना कर रिपोर्ट मांगा है। कोर्ट ने कहा कि याची का कहना है कि 57 अवैध निर्माण ध्वस्त करने के कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है जबकि वाराणसी विकास प्राधिकरण का कहना है कि 34 अवैध निर्माण गिराये गये है। इस विवादित स्थिति की निष्पक्ष रिपोर्ट आने पर कार्रवाई हो सकती है। वाराणसी बिल्डर्स एण्ड डेवलपर्स की तरफ से दाखिल अर्जी पर कोर्ट ने राज्य सरकार एवं अथारिटी से जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने कौटिल्य सोसायटी की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर वृन्दा डार तथा राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय व अन्य ने पक्ष रखा। याची का कहना था कि 2011 में हाईकोर्ट ने 57 अवैध निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया था किन्तु अथारिटी इसका पालन नहीं कर रही है। कम्पाउण्डिंग कर आदेश की अवहेलना कर रही है।
उन्होंने अवैध निर्माणों के फोटोग्राफ भी हलफनामे के जरिए दाखिल किए। कोर्ट को बताया गया कि राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला सुना दिया है और उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश में गंगा सफाई पर धन खर्च करने पर रोक लगा दी है। दशाश्मेघ घाट पर शौचालय में सुविधाएं देने के खिलाफ अर्जी की अगली तिथि पर सुनवाई होगी।