गौरतलब है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शिक्षक भर्ती में धांधली का आरोप लगता रहा है। जिसको लेकर लगातार आन्दोलन भी हुए। विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती में अयोग्य अभियार्थियो की गतल स्क्रीनिंग करके व्यकतिगत लाभ पहुंचाने का आरोप लगा। इसमें एक महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति में गलत दस्तावेजों को दर्शाने का आरोप भी लगा है। बावजूद इसके विवि प्रशासन इस मुद्दे पर बोलने को तैयार नहीं। वहीं छात्रावासों के असमय खाली कराने का भी विरोध जारी है। जिसको लेकर बीते दिनों छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया।
इस आंदोलन के दौरान इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व महामंत्री सहित दर्जनभर छात्र नेताओं को जेल भेज दिया गया। इस मामले में करीब 20 दिन बीत जाने के बाद भी छात्रसंघ अध्यक्ष अवनीश यादव उपाध्यक्ष, महामंत्री को जमानत नहीं दी गई है। छात्रों का कहना है कि वह राष्ट्रपति से मुलाकात कर अवगत कराना चाहते हैं की, विवि के आन्दोलन को कुछ लोग व्यक्तिगत लड़ाई बना कर लड़ रहे है।
राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगने वालों में छात्र संगठन के लोग भी शामिल हैं। एनएसयूआई, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, समाजवादी छात्र सभा और आइसा के छात्रनेता ने जिला प्रशासन के सामने यह मांग भी रखी है कि सभी संगठनों के दो-दो सदस्यों को राष्ट्रपति से मिलने की इजाजत दी जाए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में चल रहे हंगामे और पिछले बवाल को देखते हुए इस मामले को मामले में जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।
प्रशासन ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहता, जिससे कुछ भी हंगामा या बवाल हो। शायद यही वजह है कि छात्रों की मांग के बावजूद अभी तक किसी को राष्ट्रपति से मिलने की अनुमति नहीं दी गयी है। हालांकि छात्रों का कहना है कि जिला प्रशासन ने उन्हें आश्वस्त कराया है कि अगर राष्ट्रपति के दफ्तर से मिलने का निर्देश मिलेगा तो उनकी मुलाकात जरूर करायी जाएगी।
By Prasoon Pandey
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