scriptसबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र की सियासी बिसात पर जातियां बनी मोहरा  | cast equation in allahabad district constituency | Patrika News
प्रयागराज

सबसे बड़े विधानसभा क्षेत्र की सियासी बिसात पर जातियां बनी मोहरा 

इलाहाबाद की 12 विधानसभा सीटों में शुरू हुआ मंथन, सभी सीटों में विकास से बढ़कर जातिवाद रहेगा हावी

प्रयागराजJan 13, 2017 / 09:19 pm

अखिलेश त्रिपाठी

up election

up election

इलाहाबाद. प्रदेश का सबसे बड़े विधानसभा इलाहाबाद जिले की 12 विधानसभा सीटों पर सियासी बिसात करीब बिछ गई है। सियासत की इस बिसात पर जातियां मोहरा बनती नजर आ रही हैं। सभी राजनैतिक दल इलाहाबाद 12 सीटों पर कब्जा जमाने के लिए मंथन करते नजर आ रहे हैं। 

यूपी विधानसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। प्रदेश के साथ ही इलाहाबाद की 12 विधानसभा क्षेत्र में भी सियासी पारा चढ़ गया है। बसपा ने प्रत्याशियों की घोषणा करके अपने सियासी पत्ते खोल दिए हैं। वहीं सपा ने भी काफी कुछ प्रत्याशियों के नाम से पर्दा उठा दिया है। बीजेपी और कांग्रेस ने अब तब अपने सियासी पत्ते नहीं खोले हैं। उम्मीद है कि जल्द ही दोनों पार्टियां अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर सकती हैं। इलाहाबाद जिले की 12 विधानसभा क्षेत्र में कुल 43 लाख 36 हजार 833 मतदाता हैं। इसमें 23 लाख 86 हजार 101 पुरूष मतदाता, 19 लाख 50 हजार 273 महिला मतदाता और 459 किन्नर मतदाता हैं। 

इलाहाबाद के सियासी समीकरण से कोई राजनैतिक दल अनजान नहीं है। यहां हमेशा विकास से ज्यादा जातिवाद हावी रहा है। विभिन्न राजनैतिक दल यहां जाति के नाम पर ही अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकते आ रहे हैं। टिकट प्रत्याशी की छवि देख कर नहीं बल्कि अधिक मतदाता वाली जाति के चेहरे को दिया जाता है। जहां जातिगत समीकरण नहीं बैठ रहा, वहां मजबूत प्रत्याशी को हराने के लिए निर्दलीय को एक प्यादे की तरह उपयोग किया जात है। ऐसे लोगों को जोड़ने का भी काम हो रहा है जिनकी पैठ उनकी जाति विशेष में अधिक हो। ताकि वो अपने वोट बैंक को बढ़ा सकें। जिसका नजारा करीब सभी विधानसभा क्षेत्रों में बखूबी देखा जा सकता है। हर पार्टी का उम्मीदवार से लेकर कार्यकर्ता तक शहर में पार्शद तो गांव में ग्राम प्रधान, प्रधान विरोधी से लेकर अधिक वोटर वाले परिवार पर निगांहें टिकाए हुए है। 


12 विधानसभा क्षेत्र में कुछ ऐसा है जातीय समीकरण
इलाहाबाद की 12 विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा 4 लाख 16 हजार 222 मतदाता शहर पश्चिमी विधानसभा क्षेत्र में हैं। वहीं सबसे कम मेजा विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख 9 हजार 426 मतदाता हैं। यहां जातीय समीकरण की बात की जाए तो शहर पश्चिमी में इस बार करीब 85 हजार मुस्लिम, करीब 65 हजार पिछड़ी जाति और करीब 58 हजार दलित मतदाता, करीब 40 हजार पाल षेश अन्य जातियों के मतदाता हैं। 

पांच बार विधायक रहे बाहुबली अतीक के इस क्षेत्र में लगातार दो बार से पूजा पाल विधायक बनती आ रही हैं। सपा ने पूजा के किले को ध्वस्त करने के लिए महिला प्रत्याशी ऋचा सिंह पर दांव खेला है। ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी भी महिला प्रत्याशी को यहां उतार सकती है। ऐसे में इस बार पूजा के इस मजबूत किले में सेंध लगना तय माना जा रहा है। वहीं सबसे कम मतदाता वाले मेजा विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा करीब एक लाख ब्राह्मण, करीब 45 से 50 हजार पिछड़ी जातियों के मतदाता हैं। जिसमें यादव सर्वाधिक हैं। इनके अलावा करीब 40-40 हजार मुस्लिम व दलित, करीब 30 से 35 हजार के करीब अन्य जातियां हैं। यहां ब्राह्मण चेहरा भी पार्टी का भाग्य बदलता है। 


करछना विधानसभा में करीब 80 हजार पटेल, करीब 35 से 40 हजार पिछड़ी जाति, 30 हजार भूमिहर, 50 हजार मुस्लिम, 50 हजार ब्राह्मण व करीब 40 हजार अन्य मतदाता हैं। यहां राज्यसभा सांसद रेवती रमण के पुत्र सपा प्रत्याशी उज्जवल रमण सिंह और बसपा विधायक दीपक पटेल के बीच कड़ी टक्कर देखी जा रही है। कोरांव में करीब एक लाख आदिवासी, करीब 60 हजार पिछड़ी जाति, करीब 50 हजार दलित, 50 हजार ब्राह्मण व अन्य जातियां करीब 40 हजार हैं। यहां की हार जीत को लेकर काफी असमंजस की स्थिति है। 

बारा विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक करीब एक लाख 20 हजार मतदाता दलित हैं। करीब 50 हजार पिछड़ी जाति, करीब 50 हजार ब्राह्मण, 40 हजार मुस्लिम व करीब 40 हजार अन्य जातियों के मतदाता हैं। फूलपुर विधानसभा क्षेत्र में करीब एक लाख मुस्लिम, करीब 70 हजार पिछड़ी जाति, 60 हजार दलित, 30 हजार कायस्थ, करीब 40 हजार अन्य जातियों के मतदाता हैं। प्रतापपुर में करीब एक लाख 20 हजार मतदाता यादव मतदाता हैं। करीब 60 हजार ब्राह्मण, 70 हजार दलित व करीब 50 हजार अन्य मतदाता हैं। जातिगत समीकरण से देखा जाए तो यहां सपा प्रत्याशी विजमा यादव का पलड़ा भारी है। हंडिया में करीब एक लाख यादव, करीब 70 हजार ब्राह्मण, 60 हजार दलित, 10 हजार ठाकुर व करीब 40 हजार अन्य जातियों के मतदाता हैं। सोरांव विधानसभा क्षेत्र में करीब एक लाख पासी, 60 हजार यादव, 50 हजार ब्राह्मण, 30 हजार मौर्य, 20 हजार पाल मतदाता हैं।

फाफामऊ विधानसभा में करीब 90 हजार यादव, करीब 70 हजार मुस्लिम मतदाता, करीब 50 हजार ब्राह्मण, 45 हजार दलित मतदाता हैं। शहर उत्तरी में करीब एक लाख 10 हजार कायस्थ, करीब 90 हजार ब्राह्मण, 60 हजार करीब दलित, 50 हजार बनिया, 25 हजार मुस्लिम, 20 हजार पिछड़ी जाति, करीब सात हजार बंगाली, करीब पांच हजार पंजाबी मतदाता हैं। यह कांग्रेस विधायक अनुग्रह नारायण का मजबूत किला माना जाता है। जिसको भेद पाना किसी भी अन्य पार्टी के लिए नामुमकिन माना जा रहा है। इसके अलावा शहर दक्षिणी में सर्वाधिक करीब 90 हजार ब्राह्मण, 80 हजार मुस्लिम, 70 हजार बनिया, करीब 60 हजार दलित, 20 से 25 हजार खत्री व करीब 25 हजार कायस्थ शेष अन्य जातियों के मतदाता हैं। 

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो