1995 में दर्ज इस मुकदमे में हाईकोर्ट ने उमाकांत को 1997 में जमानत दे दी थी। इसके बाद 23 वर्षों तक वह जमानत पर रहे। इस दौरान मुकदमे में गवाही और साक्ष्य दर्ज हो चुके हैं। अभियुक्त का बयान दर्ज किए जाने के स्तर पर उमाकांत कई तारीखों पर अदालत नहीं पहुंचे थे । जिस पर कोर्ट ने उनको मिली जमानत रद्द कर दी थी। 13 मार्च 2020 को उनको फिर से जमानत देने की अर्जी खारिज कर दी गई। जमानत अर्जी पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एसडी सिंह ने कहा कि अभियुक्त 23 वर्षों तक जमानत पर रहा है। मौजूदा हालात को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता है कि मुकदमे का ट्रायल कब पूरा होगा। इन परिस्थितियों में कोर्ट ने जमानत का आधार पाते हुए जमानत अर्जी मंजूर कर ली है। कोर्ट ने उन पर जमानत पर रहने के नियमों का पालन करने की शर्त भी लगाई है।