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प्रयागराज

बाहुबली विजय मिश्रा को हाईकोर्ट से झटका, गिरफ्तारी पर रोक से इनकार, रेप की एफआईआर रद करने से इनकार

भदोही के गोपीगंज थाने में विजय मिश्रा, उनके बेटे व एक अन्य के खिलाफ दर्ज है रेप का मुकदमा
विजय मिश्रा ने आरोपों को झूठा करार देते हुए हाईकोर्ट में मुकदमा रद्द करने के लिये दाखिल की थी याचिका

प्रयागराजNov 26, 2020 / 11:14 am

रफतउद्दीन फरीद

Vijay Mishra

वजिय मिश्रा

पत्रिका न्यूज नेटवर्क

प्रयागराज. जेल में बंद बाहुबली विधायक विजय मिश्रा को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक विजय मिश्रा उनके बेटे विष्णु मिश्रा व एक अन्य के खिलाफ दर्ज दुष्कर्म का एफआईआर रद्द करने और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग को ठुकरा दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पहली नजर में यह संज्ञेय अपराध महसूस हो रहा है, ऐसे में एफआईआर में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं। रिश्तेदार का मकान और फर्म पर जबरन कब्जा करने के आरोप में विजय मिश्रा जेल में बंद हैं, जबकि उनके बेटे विष्णु मिश्रा फरार चल रहे हैं। पत्नी एमएलसी रामलली मिश्रा को हाईकोर्ट से अंतरिम अग्रिम जमानत मिली हुई है।


वाराणसी की रहने वाली पीड़िता ने विधायक विजय मिश्रा, उनके बेटे विष्णु मिश्रा और एक अन्य पर उसके 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान उसके साथ तीनों द्वारा दुष्कर्म किये जाने व तब से लेकर लगातार उसका यौन शोषण और धमकी दिये जाने के मामले में भदोही के गोपीगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके बाद जेल में बंद विधाायक और उनके फरार बेटे की मुश्किलें और बढ़ गईं, जिसके बाद वह एफआईआर रद करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसपर सुनवाई के बाद जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की बेेंच ने उनकी मांग खारिज कर दी।


हालांकि बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल चतुर्वेदी और लोकेश कुमार द्विवेदी ने कोर्ट को इस बात के लिये मनाने की काफी कोशिश की। उनकी दलील थी कि घटना 2014 की है, जबकि एफआईआर काफी देर से दर्ज कराया गया है। इससे साफ जाहिर है कि जो हुआ उसमें पीड़िता की सहमति थी। उनका ये भी दावा था कि पीड़िता के अन्य लोगों से भी शारिरिक संबंध हैं, उसने पहले भी कई लोगों के खिलाफ इस तरह की शिकायतें दर्ज कराई हैं।


हालांकि बचाव पक्ष की दलीलों का सरकारी वकील ने जमकर विरोध किया। उनका कहना था कि पीड़िता ने स्पष्ट कहा है कि उसे डराया-धमकाया गया था और अश्लील तस्वीरें वायरल करने का लेकर भी डराया गया था। उसने काफी हिम्मत जुटाकर यह शिकायत की है। एफआईआर में देरी का कोई मतलब नहीं है। इसके अलावा अगर पहले कोई अपराध हो चुका है और उसकी शिकायत की जा चुकी है तो दोबारा ऐसा अपराध होने पर वह उसकी शिकायत करने के लिये अयोग्य नहीं हो जाती। दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने याचिका में राहत देने का किसी किस्म का आधार न पाते हुए उसे खारिज कर दिया।

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