बिल की इन बातों पर है आपत्ति
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने इसे आम लोगों की जान के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि देश में सरकार ब्रिज कोर्स वाले झोला छाप को रातों रात डॉ बनाने की तैयारी में है। सरकार देश में साढ़े तीन लाख चिकत्सकों का कोटा पूरा करने में लगी है ।आरोप लगाया की सरकार नेक्स्ट एग्जाम लेने जा रही है जिसमें हमें सिर्फ एक मौका मिलेगा।अगर उसमे इंटरनल के 10 प्रतिशत मार्क जुड़ते है तो आने समय में निजी मेडिकल कॉलेज के लोगों का ही पोस्ट ग्रेजुएट में कब्जा होगा ।जिससे गरीब का लड़का कभी डॉ नही बन सकता है। वही फारेन से मेडिकल डिग्री ले कर आने वाले लोगो को अब यहाँ कोई पेपर देने की जरूरत नही होगी। सीधे यहाँ आकर प्रेक्टिस शुरू कर सकते हैसाथ ही नेक्स्ट एग्जाम में बैठने के लिए एलिजिबल है।साथ ही सरकार मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इण्डिया को समाप्त करने जा रही है जिसमे अभी तक चयनित लोग जाया करते थे अब उसमे अस्सी प्रतिशत लोग केंद्र सरकार की तरफ से नियुक्त या भेजे जाएंगे ।जो न ही हेल्थ सेक्टर से होंगे न ही चिकित्सक होंगे।आने वाले समय स्वास्थ्य सेवायें वही डिसाइड करेंगे जिनका इस फिल्ड से कोई नाता नही है।
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सरकार से बिल वापस लेने की मांग
बुधवार को मोतीलाल नेहरू चिकित्सालय में सभी ओ पी डी सेवाएं ठप कर बिल वापस लेने की बात कही गई। जूनियर चिकित्सको ने कहा कि अगर सरकार बिल वापस नहीं लेती है तो बड़ा आंदोलन होगा। डॉक्टरों क़ा मानना है की यह बिल लोकतंत्र और समान अवसर के संवैधानिक सिद्धांत का उल्लंघन है। यह विधेयक रोगियों की सुरक्षा से समझौता करता है। गौरतलब है कि आईएमए ने दिल्ली में प्रदर्शन के बाद देश भर के डॉक्टरों ने 29 जुलाई को इस बिल के विरोध में प्रदर्शन किया था। साथ ही देशभर के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के डॉक्टर और छात्रों से इस विधेयक के विरोध में प्रदर्शन का आह्वान किया था। प्रदर्शन के दौरान बड़े पैमाने पर डॉक्टरों की गिरफ्तारी भी हुई थी।
सरकार के इस बिल से गरीब का बेटा नही बन सकता डॉ
बता दें कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस बिल को 17 जुलाई को मंजूरी दी थी। बिल का मुख्य उद्देश्य मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) के स्थान पर एक चिकित्सा आयोग स्थापित करना है। माना ज़ा रहा है कि इससे भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 निरस्त हो जाएगा। चिकित्सा आयोग निजी मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 फीसदी सीटों के लिए सभी शुल्कों का नियमन करेगा। जिससे प्रवेश शुल्क में कमी की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं इस बिल के विरोध मे प्रदर्शनकारी डॉक्टरों क़ा कहना है की यह बिल सिर्फ़ डॉक्टरों के ख़िलाफ़ नही बल्कि आम जनता के लिए भी ठीक नही है इससे ग़रीब किसान क़ा बेटा डॉक्टर भविष्य मे नही बन सकेगा। मेडिकल क्षेत्र को पूरी तरह से बाजारीकरण किया ज़ा रहा है। इस लिए सभी को इस बिल क़ा विरोध करना चाहिए।