मोती की खेती के लिए यह है जरूरी मोती की खेती के लिए एक तालाब की जरूरत होगी। इसमें सीप का अहम रोल है। मोती की खेती के लिए राज्य स्तर पर ट्रेनिंग भी दी जाती है। अगर तालाब नहीं है तो इसका इंतजाम भी करवाया जा सकता है। आपकी इन्वेस्टमेंट पर सरकार से 50 फीसदी तक सब्सिडी मिल सकती है। दक्षिण भारत और बिहार के दरभंगा के सीप की क्वालिटी काफी अच्छी होती है।
इस तरह से शुरू करें खेती मोती की खेती शुरू करने के लिए कुशल वैज्ञानिकों से प्रशिक्षण लेना होता है। कई संस्थानों में सरकार खुद फ्री में ट्रेनिंग करावाती है। सरकारी संस्थान या फिर मछुआरों से सीप खरीदकर खेती का काम शुरू करें। सीप को तालाब के पानी में दो दिन के लिए रखते हैं। धूप और हवा लगने के बाद सीप का कवच और मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं। मांशपेशियां ढीली होने पर सीप की सर्जरी कर इसके अंदर सांचा डाल जाता है। सांचा जब सीप को चुभता है तो अंदर से एक पदार्थ निकलता है। थोड़े अंतराल के बाद सांचा मोती की शक्ल में तैयार हो जाता है। सांचे में कोई भी आकृति डालकर उसकी डिजाइन का आप मोती तैयार कर सकते हैं. डिजाइनर मोती की मांग बाज़ारों में ज्यादा है.
30 लाख तक होगा इनकम एक सीप को तैयार करने में करीब 25 से 35 रुपए का खर्च आता है. वहीं, एक सीप से 2 मोती तैयार होते हैं। एक मोती की कीमत 120 रुपए के आसपास होती है। अगर क्वॉलिटी अच्छी हुई तो 200 रुपए तक भी मिल सकते हैं। एक एकड़ के तालाब में 25 हजार सीप डाल जा सकते हैं। इस पर आपका निवेश करीब 8 लाख रुपए का होगा। 50% सीप भी अगर ठीक निकलते हैं और उन्हें बाजार में लाया जाता है तो आसानी से 30 लाख रुपए तक की सालाना कमाई हो सकती है।