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अलवर

150 करोड़ का मिनी सचिवालय भवन खाली, पुराने कलक्ट्रेट में बैठने को भी जगह नहीं

जिला मुख्यालय पर लोगों के कामकाज एक ही छत के नीचे हो सके, इसलिए सरकार ने करीब 150 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च कर मिनी सचिवालय का निर्माण कराया।

अलवरJul 06, 2022 / 12:10 am

Prem Pathak

150 करोड़ का मिनी सचिवालय भवन खाली, पुराने कलक्ट्रेट में बैठने को भी जगह नहीं

150 करोड़ का मिनी सचिवालय भवन खाली, पुराने कलक्ट्रेट में बैठने को भी जगह नहीं

अलवर. जिला मुख्यालय पर लोगों के कामकाज एक ही छत के नीचे हो सके, इसलिए सरकार ने करीब 150 करोड़ से ज्यादा राशि खर्च कर मिनी सचिवालय का निर्माण कराया। लेकिन हालात यह है कि तीन तल पूरी तैयार होने के बाद भी मिनी सचिवालय खाली पड़ा है और पुराने में कलक्ट्रेट में फरियादी को बैठने को जगह तक नहीं है। इतना ही नहीं हर महीने लाखों रुपए खर्च कर प्रशासन के कई विभाग अभी किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं।
मिनी सचिवालय में भूमितल तथा प्रथम दो तल कार्यालयों के संचालन के लिए लगभग तैयार है। राज्य सरकार एवं यूआईटी ने मिनी सचिवालय निर्माण पर अब तक करीब 150 करोड़ रुपए खर्च भी कर दिए। बिजली, पानी, पार्किंग सहित ज्यादातर सुविधाएं भी मुहैया करा दी गई है, लेकिन पुराने कलक्ट्रेट भवन से कलक्ट्रेट व एसपी कार्यालय के शिफि्टंग की अभी तक सरकार और प्रशासन स्तर पर कोई योजना ही नहीं बन पाई है।
शिफि्टंग नहीं होने से जनता हो रही परेशान

कलक्ट्रेट के मिनी सचिवालय में शिफ्ट नहीं होने का सरकारी अधिकारियों को नुकसान नहीं हो, लेकिन जनता परेशान हो रही है। कारण है कि समस्याओं के निराकरण के लिए लोग जिला मुख्यालय िस्थत कार्यालयों में आते हैं। गांव या कस्बों से व्यक्ति जब किराया और समय खर्च कर अलवर आता है तो एक साथ कई लंबित कार्य कराने की योजना बनाकर आता है। लेकिन अलवर में प्रशसन, पुलिस व अन्य विभागों के कार्यालय एक ही स्थान पर नहीं होने तथा अलग- अलग बिखरे होने से उसे कामकाज के लिए विभिन्न कार्यालयों में जाना पड़ता है। कई बार समय लगने पर वह अपने योजना अनुसार कार्य भी नहीं कर पाता और मायूस होकर वापस लौट जाता है। जबकि मिनी सचिवालय में प्रशासन व पुलिस सहित अन्य विभागों के कार्यालय एक ही जगह स्थापित हो तो वह कम समय में ज्यादा काम करा पाने में सक्षम हो सकता है।
पूर्व में जिला कलक्टर ने शिफि्टंग के दिए थे आदेश

पूर्व जिला कलक्टर नन्नूमल पहाडि़या ने करीब पांच महीने आनन- फानन में आदेश जारी कर गत 20 फरवरी तक कलक्ट्रेट, पुलिस व अन्य कार्यालयों को मिनी सचिवालय के प्रथम व द्वितीय तल पर शिफ्ट कर पालना रिपोर्ट भिजवाने के आदेश दिए थे। बकायदा उन्होंने विभिन्न विभागों व अधिकारियों को कमरे तक आवंटित कर दिए थे। लेकिन तय तिथि तक न तो कलक्ट्रेट और न ही पुलिस विभाग के कार्यालय शिफ्ट हो सके।
अब अधिकारी दे रहे गोलमोल जबाव

मिनी सचिवालय में कलक्ट्रेट शिफि्टंग को लेकर फिलहाल उच्च अधिकारियों के पास कोई जबाव नहीं है। अधिकारी शिफि्टंग के मामले में गोलमोल जबाब देकर गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल रहे हैं। पिछले काफी समय से प्रशासन के अधिकारी कलक्ट्रेट शिफि्टंग को लेकर एक ही कहते रहे हैं कि सरकार के आदेश का इंतजार है। जबकि मिनी सचिवालय का भवन तैयार होने पर शिफि्टंग में सरकार के आदेश की बाध्यता नहीं रहती। केवल निर्माण कम्पनी एवं प्रशासन के बीच भवन को हैंड ओवर करने की औपचारिकता रहती है।
केवल एक ही कार्यालय हो पाया शिफ्ट

जिला प्रशासन के आदेश के बाद मिनी सचिवालय के द्वितीय तल पर अभी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, निर्वाचन कार्यालय आदि ही शिफ्ट हो पाए हैं। पुलिस के कुछ कार्यालयों की प्लेट भी लगाई गई है। वहीं श्रम विभाग सहित अन्य कई कार्यालय अभी हर माह हजारों रुपए खर्च कर किराए पर चल रहे हैं। वहीं भूमि तल पर तहसील व उप पंजीयक कार्यालय पहले से संचालित हैं।
नहीं हो रही सार संभाल

कलक्ट्रेट शिफि्टंग नहीं होने से मिनी सचिवालय की सार संभाल भी नहीं हो पा रही है। करोडो़ं रुपए के नए भवन में जगह- जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। वहीं नई दीवारों पर गुटका व पीक के निशान दिखाई पड़ते हैं। हालत यह है कि अभी भवन में सफाई की व्यवस्था तक नहीं है।

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