बगड़ का तिराहा के आगे से ही सडक़ जगह-जगह टूटी मिल जाएगी। बड़ौदामेव से मानोता तक पूरी रोड उधड़ी पड़ी है। फिर सहजपुर व खकावली तक जगह-जगह सडक़ में गड्ढे हो चुके हैं। हालात ये हैं कि चौपहिया वाहन गड्ढ़ों को बचाते हुए निकलते हैं तो दुपहिया वाहनों को जगह नहीं मिलती। मजबूरी में वाहन को सडक़ के नीचे ले जाना पड़ता है।
टोल रोड होने के बावजूद एंबुलेंस तक आसानी से नहीं निकल रही है। गड्ढ़ों के कारण मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में समय लगता है। टैम्पो से 160 रुपए, बड़े ट्रक के 1280
टोल शुल्क भी कम नहीं है। टैम्पो के एक टोल पर आने-जाने का 40 रुपए शुल्क है। चारों टोल से निकलना होता है तो 160 रुपए लगते हैं। इसी तरह पिकअप के चार टोल से आने-जाने पर 560 रुपए शुल्क वसूला जाता है। छह पहिया वाले ट्रक व बड़े वाहनों को 840 रुपए तो इससे अधिक पहिया वाले वाहनों को 1280 रुपए टोल चुकाना पड़ रहा है। इसके बावजूद वाहनों को सलामत सडक़ नहीं मिल रही है। एक तरह से दोहरी मार पड़ रही है।
अभी आचार संहिता है। सडक़ मरम्मत कराने का टेण्डर नहीं हो पाया है। अब जल्दी टेण्डर करने के बाद सडक़ को दुरुस्त कराया जाएगा। महेश चन्द शर्मा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, आरएसआरडीसी