लक्ष्य, चयन और मंजिल प्राप्ति के मध्य सबसे महत्वपूर्ण है कि मंजिल तक जाने का रास्ता। अपने लक्ष्य तक पहुंचने और सपनों को पूरा करने के लिए वह किस रास्ते का चयन करता है। यह निर्धारित करता है कि वह वाकई सफल हुआ या नहीं? इससे मित्रों और अपनो को सुकून मिलता है। गलत रास्तों पर चलकर इंसान को दर्द ही मिलता है। जब वह किसी लक्ष्य पर पहुंच कर पीछे मुडकऱ देखता है तो ग्लानि का अहसास होता है।
अशोक महान की कलिंग विजय को सभी जानते हैं। उनका एक मात्र लक्ष्य सम्राट बनना था। जब उसने अपनी सफलता के बाद पीछे मुडकऱ देखा तो उन्हें अंधकार ही नजर आया। फिर वही अशोक जब सच के रास्ते पर चला तो वह अशोक महान बन गया क्योंकि मंजिल तक पहुंचने के लिए सही रास्ते का चयन।
हथियारों और नफरत से जंग तो जीती जा सकती है लेकिन दिल नहीं जीते जाते हैं। यही कारण है कि हिटलर महान नहीं बना और महात्मा गांधी को विश्व में श्रेष्ठ माना गया। जब प्रतिस्पर्धा प्यार से व प्रेम से जीती जाती है तब कोई नहीं हारती है।
कुछ लोग नफरत के बीज बोकर फूट पैदा करना चाहते हैं। हमारे देश में तो हमारी हजारों सालों से सांझी संस्कृति रही है। अब ऐसे लोगों को हमें समझना होगा।
समय आ गया है कि जब देश का प्रत्येक व्यक्ति देश के नव निर्माण में अपना योगदान दे। जब पूरे विश्व में जाति और क्षेत्रवाद को भूलकर लोग बस देश के लिए कार्य कर रहे हैं, वहां हम इन आपसी झगड़ों में अपनी शक्ति को कमजोर नहीं करें। अलवर जिले में हम सुखद शुरुआत कर सकते हैं।