इसके बाद ये अपना घर-शालीमार में स्थित मंदिर में गर्ई। यहां इन्होंने शिव मंदिर में पूजा अर्चना की और भगवान शिव को जल चढ़ाया। इन्होंने भगवान श्रीराम दरबार व मां दुर्गा की पूजा अर्चना की। बाद में पीपल की सात परिक्रमा कर उस पर धागा बांधा। मंदिर में पूजा अर्चना के बाद उन्हें गेट पर याद आया तो अपनी भाभी को उन्होंने 20-20 रुपए के तीन नोट यहां के गुल्लक में डालने को दिए। इनके साथ यहां इनके भाई अशोक व भाभी भी साथ थी। इनका कहना था कि वे इलाहाबाद में आयोजित तेली समाज के सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होने जा रही हैं। इस दौरान वे आश्रम एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थी। अलवर में उनके परीचित नानक राठौड़ ने उन्हें अलवर कुछ देर रुकने को कहा तो वे कुछ देर यहां ठहरने के बाद सडक़ मार्ग से दिल्ली जा रही हैं।
जशोदा बेन ने अपने पर्स में अगरबत्ती, धूप और देशी घी सहित सभी पूजा की सामग्री रख रखी थी। इन्होंने मंदिर में अपनी ही पूजन सामग्री से पूजा अर्चना की। इनके साथ आई इनकी भाभी इन्हें पूजा अर्चना का सामान पकड़ा रही थी।
अधिकतर रखती हैं व्रत
जशोदा बेन के साथ आई इनकी भाभी ने बताया कि ये सात दिनों में अधिकतर दिनों में व्रत रखती हैं। ये जहां भी जाती हैं तो अपनी पूजन सामग्री साथ रखती हैं। इनका पूरा ध्यान भगवान की पूजा अर्चना में ही रहता है। इनकी भाभी का नाम भी जशोदा ही है।
अपना सामान स्वयं संभालती रही
जशोदा बेन बेहद सरल स्वभाव की हैं। अलवर में जिस घर में ये कुछ घंटे रही, इस दौरान वे बिल्कुल विनम्र व शालीन तरीके से रही। इस दौरान वे बिल्कुल शांत रही। यहां उन्होंने अपने बैग में कपड़े व अन्य सामग्री रखी। वे बुजुर्गों की तरह सभी को आशीर्वाद दे रही थी। यहां बहुत सी महिलाओं ने इनके साथ सेल्फी ली और फोटो खिंचवाए। कॉलेज में भी छात्राओं में उनके साथ फोटो खिंचवाने की उत्सुकता बनी रही। दोपहर तक इन्होंने अलवर में मात्र कॉफी
ही पी।