इसके आदेश विकास अधिकारियों को भी भेजे गए। उन्होंने कहा कि इससे पहले ऐसी नीति कभी नहीं बनी। जिला परिषद की नीति से करीब 250 ग्राम सेवक प्रभावित होंगे जो कि ग्राम सेवकों के साथ सरासर अन्याय है।
अटक सकती है नई नियुक्तियां जिला परिषद में चल रही रार के चलते जिले में तृतीय श्रेणी शिक्षकों की लगभग 800 नियुक्तियां भी अटक सकती हैं। इनका दस्तावेज सत्यापन का कार्य पूरा हो चुका है। दरअसल, इन नियुक्तियों का जिला स्थापना समिति की बैठक में अनुमोदन होना है। इस समिति की अध्यक्ष जिला प्रमुख हैं। पूर्व में भी कई बार उनकी उपेक्षा हो चुकी हैं। ऐसे में उनकी उपेक्षा की गाज इन नियुक्तियों पर पड़ सकती है।
लम्बे समय से चल रही है रार जिला परिषद में कर्मचारियों के तबादलों को लेकर लम्बे समय से गतिरोध बना हुआ है। पहले जिला प्रमुख ने कुछ कर्मचारियों का स्वैच्छिक व प्रशासनिक आधार पर तबादला करना तय किया। तब परिषद अधिकारियों ने इसे नीतिगत नहीं माना और प्रस्ताव को मार्गदर्शन के लिए उच्चाधिकारियों के पास भिजवा दिया। इसके बाद स्थाई समिति की बैठक में सात साल से एक ही स्थान पर जमे ग्राम सेवकों का दूसरी पंचायत समिति में स्थानांतरण करने की नीति बनाई गई। जिसे ग्राम सेवकों के विरोध के बाद फिर से मार्गदर्शन के लिए भेज दिया गया।
गतिरोध का यह भी एक कारण जिला परिषद में बने गतिरोध का एक कारण जिला प्रमुख का कांग्रेस का होना भी है। दरअसल, राज्य में भाजपा की सरकार है। अलवर में भी 11 में से 9 विधायक भाजपा के हैं। ऐसे में जिला परिषद में किसी न किसी बात पर गतिरोध बना रहता है।