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नई दिल्ली

चार दमकलों पर देश के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र का भार, हर साल आग की घटनाओं में होता है बड़ा नुकसान

भिवाड़ी. चार मई को दमकल दिवस है। हमारे जीवन में जैसे चिल्ड़ेन डे, फादर्स डे, मदर्स डे, अर्थ डे सहित अन्य दिनों का महत्व है वैसे ही दमकल दिवस का महत्व है। जीवन में आई खुशहाली और समृद्धि एक चिंगारी से राख में मिल जाती है।

नई दिल्लीMay 02, 2017 / 09:21 pm

Shailesh pandey

धर्मेंद्र दीक्षित

भिवाड़ी. चार मई को दमकल दिवस है। हमारे जीवन में जैसे चिल्ड़ेन डे, फादर्स डे, मदर्स डे, अर्थ डे सहित अन्य दिनों का महत्व है वैसे ही दमकल दिवस का महत्व है। जीवन में आई खुशहाली और समृद्धि एक चिंगारी से राख में मिल जाती है। वर्षों की मेहनत आंखों के सामने स्वाह हो जाती है। 
ऐसी ही अनहोनी और अप्रिय घटनाओं से बचाने के लिए दमकल की जरूरत होती है। आधुनिक और विकसित समाज में दमकल की वैसी ही जरूरत है, जैसे कि इंसान को प्यास बुझाने के लिए पानी की। 
देश की आबादी में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। जिसकी वजह से गांव कस्बे, कस्बे शहर और शहर महानगर होते जा रहे हैं। झोंपड़ी से मकान, मकान से बंगला और बहुमंजिला इमारतों का सफर हम तय कर चुके हैं। ऐसे में अग्निशमन सुरक्षा उपकरणों की खासी जरूरत है।
 आग को लगने से रोकने और लगने के बाद बुझाने के लिए हमारे पास पर्याप्त संसाधन होने चाहिए। लेकिन विश्व पटल पर चित्रित औद्योगिक नगरी भिवाड़ी, टपूकड़ा, खुशखेडा, तिजारा और कोटकासिम में अग्निशमन सुरक्षा के संसाधनों का अभाव है। खासकर दमकल की गाडिय़ों का। 
भिवाड़ी में अभी तक सिर्फ दो दमकल हैं। रीको के फायर स्टेशन का प्रबंधन निजी हाथों में है। औद्योगिक क्षेत्र की अग्नि जनित घटनाओं से सुरक्षा व्यवस्था की दारोमदार निजी हाथों ने संभाल रखी है। नगर परिषद भिवाड़ी में फायरकर्मियों का पूरा दल है। लेकिन उनके पास सिर्फ रेस्क्यू वाहन है। 
नगर परिषद भिवाड़ी के फायरकर्मियों की ऊर्जा का उपयोग अभी तक सिर्फ औद्योगिक क्षेत्र में एनओसी देने के लिए हो रहा है। वहीं औद्योगिक क्षेत्र टपूकड़ा और खुशखेड़ा में भी रीको का फायर स्टेशन है। यहां 12 हजार और 35 सौ लीटर की दो दमकल हैं। 
औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी, कहरानी, सारेखुर्द, चौपानकी, पथरेड़ी, टपूकड़ा, खुशखेडा, कारौली और सलारपुर में 35 सौ औद्योगिक इकाईयां हैं। इतना बड़ा औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद दमकल की गाडिय़ों का कम होना चिंता का विषय है। 
औद्योगिक क्षेत्र में आए दिन आग की घटनाएं होती रहती हैं। जिनमें हर वर्ष करोड़ों रुपए का नुकसान होता रहता है। दमकल की कम गाड़ी होने से बार-बार पानी भरने के लिए जाती हैं। तब तक आग भड़कती रहती है, जिससे आग पर काबू पाना मुश्किल होता रहता है। 
वहीं नगर पालिका तिजारा में भी आग बुझाने के संसाधनों का टोटा कस्बे और ग्रामीण क्षेत्रों में बर्बादी का बड़ा कारण बना रहता है। नगर पालिका में सिर्फ साढ़े चार हजार लीटर की एक गाड़ी है। जो कि क्षेत्र की जरूरतों के हिसाब से नाकाफी है। कोटकासिम तहसील मुख्यालय में अभी तक दमकल नहीं पहुंची है।
 तिजारा और कोटकासिम क्षेत्र में फसल के समय और गर्मियों में आगजनी की घटनाएं होती रहती हैं। अन्नदाता साल भर की मेहनत को अपनी आंखों के सामने जलते देखते रहते हैं। 

क्षेत्र में आगजनी की घटना होने पर जिला मुख्यालय अलवर, खुशखेडा और खैरथल से दमकल पहुंचती हैं। लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है। या तो लोग सामूहिक प्रयासों से आग बुझा लेते हैं नहीं तो फिर बर्बादी का भयावह मंजर देखते रहते हैं। 
फैक्ट फाइल

60-बड़ी आवासीय सोसायटी

12-आरएचबी और यूआईटी के सेक्टर

5-लाख की आबादी

3500-औद्योगिक इकाईयां

9-औद्योगिक क्षेत्र

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