प्रकरण में एसओजी की पड़ताल में सामने आया है कि 6 सितम्बर की सुबह करीब पौने 9 बजे जब बहरोड़ थाने पर पपला गुर्जर गैंग ने एके-47 से फायरिंग की थी उस वक्त थाने पर एसएचओ समेत 12-13 पुलिसकर्मी मौजूद थे। बदमाशों के थाने में घुसते ही संतरी कृष्ण कुमार और एक अन्य पुलिसकर्मी जान बचाकर थाने की छत पर भागे। इन दोनों पुलिसकर्मियों के पास हथियार थे। इन दोनों पुलिसकर्मियों ने थाने की छत पर जाकर दीवार की ओट में पॉजीशन भी ले ली थी, लेकिन एक भी फायर नहीं किया। वे सिर्फ दीवार की ओट में बैठकर बदमाशों के थाने से भागने का इंतजार करते रहे। यदि इन दोनों पुलिसकर्मियों की ओर से फायरिंग कर दी जाती तो बदमाशों के हौंसले पस्त हो जाते और वह अपने साथी को बिना छुड़ाए ही थाने से भाग खड़े होते।
थाने में ही ढेर कर सकते थे बदमाशों को जिन पुलिसकर्मियों ने थाने की छत पर दीवार की ओट में पॉजीशन ली थी वह काफी सुरक्षित जगह पर थे। बदमाश नीचे खड़े थे और पुलिसकर्मी छत के ऊपर थे। यदि पुलिसकर्मी जवाबी फायरिंग करते तो बदमाशों की बजाय उनका निशान ऊपर से ज्यादा सटीक बैठता और वह एक-दो बदमाशों को थाने में ढेर कर सकते थे।
पुलिसकर्मियों पर कस रहा शिकंजा पपला गुर्जर गिरोह के बदमाशों की धरपकड़ के साथ ही थाने के कई पुलिसकर्मियों पर भी शिकंजा कसता नजर आ रहा है। पपला गुर्जर के खास गुर्गे दिनेश गुर्जर ने एसओजी के सामने पपला गुर्जर को भगाने की साजिश में थाने के कई पुलिसकर्मियों के शामिल होने का खुलासा किया है। साथ ही दिनेश ने थाने पर हमला पूरी तरह से पुलिस की मिलीभगत से सुनियोजित होने के संकेत भी दिए हैं। इसके बाद से एसओजी ने इस दिशा में भी पड़ताल शुरू कर दी है।