सरकार की ओर से साल 2019 से 2021 तक दो साल के लिए नंगली बलाई, डाबडवास व डूमरोली प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को पीपीपी मोड पर दवा मुहैया कराने का ठेका स्पर्श चिल्ड्रन ऐमिनोसिपेशन सोसायटी फोर सोशियल चेंज एण्ड एक्सन कोटपूतली को दिया गया था। इस दौरान तीनों चिकित्सा संस्थानों पर दवाएं सरकारी स्टोर से ही उपलब्ध कराई गई थीं। इस बीच चिकित्सा संस्थानों के संचालन में अनियमितता की शिकायत मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से औषधि सॉटवेयर के माध्यम से स्टोर से उपलब्ध कराई दवाओं और अस्पतालों के दवा वितरण केन्द्रों पर उपलब्ध दवाओं का भौतिक सत्यापन कराया गया था। इसमें तीनों चिकित्सा केन्द्रों पर 9 लाख 72 हजार 840 रुपए की दवाओं में गड़बड़ी मिली थी।
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विभागीय कार्यशैली पर भी उठ रहे सवालजानकारी के अनुसार समस्त चिकित्सा संस्थानों पर जिला औषधि भंडार से दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। नियमानुसार औषधि भंडार से दवा वितरण केन्द्रों पर सालभर की अनुमानित खपत के हिसाब से दवाएं भेजी जाती हैं। इसके बाद कोई दवा खत्म होने पर मांग के अनुसार दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसकी सॉटवेयर में एंट्री की जाती है। जिससे औषधि भंडार को भी दवाओं की खपत की जानकारी होती है। इसके बाद भी औषधि भंडार ने दवाओं के रिकॉर्ड की जांच करना मुनासिब नहीं समझा और लगातार 2 साल तक दवाएं अलॉट करते रहे।