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सरिस्का के एनक्लोजर में दम क्यों तोड़ देते हैं बाघ

सरिस्का टाइगर रिजर्व का एनक्लोजर बाघों को रास नहीं आता। यही कारण है कि अब तक इसमें रहे चार बाघ दम तोड़ चुके है। बाघ शिड्यूल ए का जानवर है, इस कारण जंगल में स्वतंत्र विचरण की आदत होती है। लेकिन चल फिरने में असमर्थ होने पर बाघों को एनक्लोजर में रखते हैं।

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अलवर

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Prem Pathak

Jan 17, 2024

सरिस्का के एनक्लोजर में दम क्यों तोड़ देते हैं बाघ

सरिस्का के एनक्लोजर में दम क्यों तोड़ देते हैं बाघ

सरिस्का टाइगर रिजर्व में बाघों को एनक्लोजर में बंद रहना रास नहीं आता। यही कारण है कि चार बाघ पिछले कुछ वर्षों में एनक्लोजर में दम तोड़ चुके हैं। हालांकि बाघों को एनक्लोजर में चल फिरने लायक नहीं रहने पर ही बंद किया गया, लेकिन वे वापस जिंदा बाहर जंगल में फिर नहीं आ सके।

सरिस्का में दो एनक्लोजर हैं। इनमें वन्यजीवों को उपचार आदि के लिए रखा जाता है। जंगल में एनक्लोजर को वन्यजीवों का आइसीयू भी माना जाता है। सरिस्का में घायल होने पर बाघों का एनक्लोजर में उपचार किया गया। इससे बाघों काे कुछ समय जीवन मिला, लेकिन एनक्लोजर लंबा जीवन दिला पाने में विफल रहे।

बाघिन एसटी-2 घायल अवस्था में आई एनक्लोजर में

सरिस्का के एनक्लोजर में अब तक चार बाघों की मौत हुई है। इनमें बाघिन एसटी-2 को घायल एवं वृद्धावस्था के चलते एनक्लोजर में रखा गया। उम्र ज्यादा होने के कारण यह बाघिन शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गई थी, जिसकी पूंछ पर हुए घाव का एनक्लोजर में कई बार इलाज भी किया गया। दो साल से ज्यादा समय तक एनक्लोजर में गुजारने के बाद पिछले दिनों उसकी मौत हो गई। इससे पहले बाघिन एसटी-3 को भी एनक्लोजर में बीमार हालत में रखा गया। यहां उपचार के दौरान उसकी भी एनक्लोजर में मौत हो गई। वहीं आपसी संघर्ष में घायल हुए बाघ एसटी-4 एवं बाघ एसटी-6 की मौत भी एनक्लोजर में हुुई। इसमें बाघ एसटी-4 को आपसी संघर्ष में पांव में चोट आने के कारण एनक्लोजर में रखा गया था। यहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं बाघ एसटी-6 की मौत भी उम्रदराज एवं घायल होने के कारण एनक्लोजर में हुई।

विशेषज्ञों का तर्क यह

वन्यजीव विशेषज्ञों का तर्क है कि वैसे तो बाघ खुले जंगल में घूमने का आदि वन्यजीव है। लेकिन उम्र ज्यादा होने या फिर बीमारी और घायलावस्था में ज्यादा चलने- फिरने लायक नहीं रहने पर प्राय: बाघों को एनक्लोजर में रखा जाता है। इसके पीछे तर्क यह भी है कि उम्र ज्यादा होने एवं बीमारी की हालत में बाघ पर दूसरे स्वस्थ बाघ हमला कर सकते हैं, इससे कमजोर बाघों की परेशानी और बढ़ सकती है। जबकि एनक्लोजर में रखने से बाघों को दूसरे बाघों से खतरा नहीं रहता। कुछ वन्यजीव विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ज्यादा समय तक एनक्लोजर में बाघों को रखना उनकी सेहत के अनुकूल नहीं रहता और वे अपना प्राकृतिक जीवन नहीं जी पाते।