बड़ी खासियत करेक्शन का चांस नहीं डॉ. अनिल बांगा ने पंटिंग बनाते हुए बताया कि स्मॉक पेंटिंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे बनाते समय कोई सुधार की गुजाइश नहीं होती है। पहले कागज पर धुआं लेते हैं, धुआं पर नुकीली चीज से आकृति देते समय एक बार उनके हाथ से जो आकार बनता गया उसमें कतई बदलाव नहीं कर सकते। जबकि ब्रश व रंग से बनाई जाने वाली पेंटिंग में सुधार की संभावना पूरी रहती है।
एमबीबीएस की ट्रेनिंग करते समय आया आइडिया डॉ. बांगा ने बताया कि करीब 40 साल पहले जब वे एमबीबीएस की ट्रेनिंग कर रहे थे तो मेंढक़ की मांसपेशियों पर प्रयोग करते समय उनको यह विचार आया कि धुआं से पेंटिंग बना सकते हैं। धुआं को कागज पर रोकने के लिए रेजिन नाम का रसायन काम लिया तो उनका प्रयोग सफल हो गया। फिर वे धीरे-धीरे पेंटिंग बनाने लगे।
अब तक कई हजार पेंटिंग बना दी डॉ. बांगा ने बताया कि अब तक कई हजार पेंटिंग बना चुके हैं। केडिला फॉर्मेसी कम्पनी ने उनकी पेंटिंग की 80 हजार कॉपी कराकर डॉक्टरों को दी है। उनका कहना है कि उनकी कला को बड़े से बड़े मंच पर सराहा गया है लेकिन, चिकित्सक पेशे में अधिक व्यस्त रहने के कारण इस कार्य को व्यवसाय का रूप नहीं दे सके। जिसके कारण उतनी पहचान नहीं हो सकी है।
नकल भी नहीं, मॉलिक है
धुआं से पेंटिंग बनाते समय बिना रुके पेंटिंग बनानी पड़ती है। एक तरह से किसी दूसरी चीज की नकल भी नहीं कर सकते। वे अपने खुद के विजन के आधार पर ही पेंटिंग तैयार करते हैं। अब तक उन्होंने अधिकतर धर्म, देवी-देवताओं के स्वरूप आधारित पेंटिंग अधिक बनाई हैं।