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भाजपा के बड़े चेहरों की सीट फंसी, कांग्रेस में दावेदारों की कमी

नगर परिषद के वार्ड पार्षद चुनाव के मतदान के बाद परिणाम के अनुमानों में भाजपा के बड़े चेहरों की सीट फंसती नजर आने लगी है। वहीं कांग्रेस में चेयरमैन की दावेदारी वाले चेहरों की कमी है।

अलवरNov 18, 2019 / 12:14 am

Prem Pathak

भाजपा के बड़े चेहरों की सीट फंसी, कांग्रेस में दावेदारों की कमी

भाजपा के बड़े चेहरों की सीट फंसी, कांग्रेस में दावेदारों की कमी

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नगर परिषद के वार्ड पार्षद चुनाव के मतदान के बाद परिणाम के अनुमानों में भाजपा के बड़े चेहरों की सीट फंसती नजर आने लगी है। वहीं कांग्रेस में चेयरमैन की दावेदारी वाले चेहरों की कमी है। जिसके कारण पार्टियों के नेता उधेड़बुन में हैं। फिलहाल तो इसी गणित में लगे हैं कि कैसे भी करके बोर्ड बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा जुटाया जाए। ताकि परिणाम के बाद होने वाली मशक्कत को कम किया जा सके। परिणाम आने से पहले ही जिताऊ प्रत्याशियों की बाड़ेबंदी शुरू हो गई है।
ये चेयरमैन के दावेदार, हार-जीत परिणाम के बाद


भाजपा में चेयरमैन के दावेदारों की लम्बी सूची है। तीन पूर्व सभापति चुनाव मैदान में हैं। तीनों की सीट फंसी हुई है। ऐसा किसी के बारे में नहीं कहा जा सकता कि उनका जीतना सुनिश्चित है। वार्ड 48 से मीना सैनी, वार्ड 58 से हर्षपाल कौर व वार्ड 62 से सुनीता खाम्बर चुनाव मैदान में हैं। तीन में से दो वार्डों में कांटे का मुकाबला है। एक वार्ड में निर्दलीय की जीत की चर्चा है। इनके अलावा वार्ड तीन से सुनील मेठी, वार्ड नौ से अशोक गुप्ता, वार्ड 6 से दिनेश गुप्ता, वार्ड 19 से घनश्याम गुर्जर, वार्ड 31 से धीरज जैन चेयरमैन के प्रबल दावेदार हैं लेकिन, सबकी सीट पर कांटे का मुकाबला है।
कांग्रेस में चेयरमैन के ये दावेदार

कांग्रेस में वार्ड 59 से अजय मेठी, वार्ड 19 से गौरीशंकर, वार्ड 30 से नरेन्द्र मीणा व 36 से रेणू अग्रवाल हैं। जिनका नाम चेयरमैन पद के चुनाव से जोड़ा जा रहा है। इन चार में से तीन सीट पर कांटे का मुकाबला है। एक पर कांग्रेस प्रत्याशी के पिछडऩे की चर्चा है।
कांग्रेस में पार्षद से अलग चेहरा भी संभव


कांग्रेस पार्टी में पार्षद से अलग चेहरे को चेयरमैन का दावेदार माना जा रहा है। हालांकि अभी तक पार्टी ने ऐसी कोई घोषणा भी नहीं की है कि पार्षद ही चेयरमैन का प्रत्याशी होगा। पार्षद के अलावा अजय अग्रवाल को चेयरमैन का दावेदार बनाने की अधिक चर्चा है। हालांकि यह सब पार्टी की सीट के आंकड़े पर तय करेगा। ज्यादा निर्दलियों की जरूरत पड़ी को पार्षद के अलावा चेयरमैन प्रत्याशी उतारा जा सकता है। पार्टी को पूरा बहुमत मिलता है तो चुने पार्षदों में से चेयरमैन चुना जाना संभव है। लेकिन, जानकारों का कहना है कि स्पष्ट बहुमत कांग्रेस को मिलना बहुत मुश्किल है।
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