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सरिस्का इको सेंसिटिव जोन में होटल और रेस्टोरेंट बनने की असल वजह ये है 

अलवर इको सेंसिटिव जोन के लिए सरिस्का प्रशासन अब तक 3 बार ड्राट भेज चुका, लेकिन सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट और इसके बाद वन मंत्रालय ने 2016, 2019 व 2023 में आदेश जारी कर सरिस्का में इको सेंसेटिव जोन का निर्धारण करने का आदेश दिया, लेकिन अब तक […]

अलवरMay 25, 2024 / 12:32 pm

Rajendra Banjara

अलवर इको सेंसिटिव जोन के लिए सरिस्का प्रशासन अब तक 3 बार ड्राट भेज चुका, लेकिन सरकार मंजूरी नहीं दे रही है। वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट और इसके बाद वन मंत्रालय ने 2016, 2019 व 2023 में आदेश जारी कर सरिस्का में इको सेंसेटिव जोन का निर्धारण करने का आदेश दिया, लेकिन अब तक फाइनल नहीं हो पाया।

प्रस्ताव प्रदेश और केंद्र सरकार को भेजा

अगस्त 2023 में भी इसका प्रस्ताव प्रदेश और केंद्र सरकार को भेजा गया था, पर घोषित नहीं कर पाए। जानकार कहते हैं कि यदि इको सेंसेटिव जोन घोषित हो जाता, तो यहां आज एक भी होटल या रेस्टोरेंट नहीं होता।

4 मार्च 2023 को इको सेंसेटिव जोन का ड्राट जारी किया गया। इसमें राजगढ़-टहला क्षेत्र में बफर जोन करीब एक किलोमीटर का माना गया था। इसके अलावा अलवर शहर और जमवारामगढ़ में इसकी सीमा जीरो किमी थी। ड्राट के बाद लोगों से आपत्तियां मांगी गई और फिर प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया, जो अब तक फाइनल नहीं हुआ।

इससे पहले भी वर्ष 2010 व 2013 में प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया था। जानकार कहते हैं कि इस जोन में सरकारों से लेकर नेताओं के अपने हित छुपे हुए हैं। ड्राट फाइनल न होने के कारण सरिस्का के इर्द-गिर्द होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे बारातघर, दुकानों की संया बढ़ती गई।

इको सेंसेटिव जोन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जून 2022 में आदेश पारित किया था, जिसके तहत एक किलोमीटर के दायरे को इको सेंसिटिव जोन बनाने का निर्देश दिया गया था। अप्रैल-2023 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में आंशिक परिवर्तन कर पालन करने का निर्देश दिया था।

सभी खनन को बंद करने का आदेश

15 मई को सरिस्का के क्रिटिकल हैबिटेट एरिया वाले एक किलोमीटर के दायरे में सभी खनन को बंद करने का आदेश दिया है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 टाइगर रिजर्व के अंदर और आसपास के क्षेत्र में उत्खनन पर प्रतिबंध लगाते हैं। – गौरव शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता

सरिस्का के इको सेंसेटिव जोन को लेकर पूर्व में तीन बार ड्राट तैयार कर सरकार को भेजा जा चुका है। सरिस्का के आसपास संचालित गतिविधियों की जांच करा रहे हैं। -महेन्द्र शर्मा, उप वन संरक्षक, सरिस्का

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