मिनी सचिवालय का निर्माण करीब एक दशक से चल रहा था। उम्मीद नहीं थी कि निर्माण पूरा हो गया लेकिन काम पूरा हुआ। निर्माण पूरा होने के करीब 6 माह तक पूरा सचिवालय खाली पड़ा रहा। पंजीयन विभाग, तहसील को ही यहां शिफ्ट किया गया। बाकी विभाग पुराने कलक्ट्रेट में संचालित थे लेकिन अचानक प्लान बना और 12 मई को पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने इसका शुभारंभ किया। इस सचिवालय में करीब 30 विभाग संचालित हैं। जिसमें प्रशासन, तहसील, पंजीयन, सामाजिक कल्याण, रसद विभाग, पुलिस विभाग, एनएचएआई आदि शामिल हैं। एक ही छत के नीचे ये विभाग होने से जनता की भागदौड़ कम हुई। हर विभाग के चक्कर जनता को नहीं लगाने पड़ रहे। हालांकि कोर्ट भवन का शुभारंभ नहीं होने के चलते पुराने कलक्ट्रेट में ही प्रशासनिक कोर्ट संचालित हो रहे हैं।
विधानसभा चुनाव की तैयारियां चल रही थीं। इससे पहले प्रदेश सरकार ने यहां कलक्टर पुखराज सेन हटाया था लेकिन ये चुनावी तैयारियों के बीच में ही चुनाव आयोग की ओर से हटा दिए गए। करीब तीन दशक के बाद ऐसा हुआ था। ये मामला काफी सुर्खियों में आया।
अगस्त माह में नए जिलों की घोषणा कांग्रेस सरकार ने की तो खैरथल-तिजारा, कोटपूतली-बहरोड़ में दिवाली जैसा जश्न मनाया गया। जनता खुश थी। नेता भी खुश थे। यहां कलक्टर सरकार ने लगाए। 15 विभागों की स्थापना की गई। संचालन के लिए अधिकारियां को मर्ज किया गया। जिला परिषद का भी गठन किया गया। जनता काफी समय से मांग कर रही थी कि उन्हें अलवर जाते-जाते शाम हो जाती है। काम नहीं हो पाते। जिला मुख्यालय दूर पड़ता है। अब मुख्यालय उनके करीब आ गया। करीब 20 लाख लोगों को इसका लाभ मिला। हालांकि जिलों को पूरी तरह सुविधाएं देने में अभी काफी समय लगेगा।
नए जिले बनने के बाद उम्मीद जगी थी कि अलवर को संभाग बनाया जाए। नए जिलों को इसी के अधीन रखा जाए। इससे जनता की भागदौड़ जयपुर कम होगी। इसके लिए पूरे जिले ने प्रयास भी किए। बताते हैं कि सरकार की मंशा भी थी लेकिन बस घोषणा होते-होते रह गई। कांग्रेस सरकार ने ये जरूर घोषणा की कि अगला जब भी डिवीजन कोई बना तो वह अलवर होगा। ये उम्मीद अब जनता नई सरकार से लगा रही है।
टहला में हुआ जमीन फर्जीवाड़ा…पूरे प्रदेश में चर्चा में
राजगढ़ के टहला में प्रशासन गांवों के संग अभियान के तहत वर्ष 2021 में हजारों किसानों को सरकारी जमीन का आवंटन किया गया। राजस्थान पत्रिका ने इसका खुलासा किया तो प्रशासन ही नहीं प्रदेश सरकार की नींद भी उड़ गई। शासन की टीम जांच को पहुंची। पांच लोगों को निलंबित किया गया और प्रशासन से जांच पर जांच करवाकर सभी 995 पट्टे निरस्त कर दिए। खातेदारी भी निरस्त की गई। प्रशासन ने इस मामले में कठोर कार्रवाई की। ये कार्रवाई भी चर्चा का विषय रही। इस मामले में कई नेताओं को भी लगा कि वह जेल जा सकते हैं लेकिन मामला दबा दिया गया।
प्रदेशभर में सरकार ने जनसुनवाई शुरू की थी। माह में एक बार जिला कलक्टर को जनसुनवाई करने के आदेश दिए गए। अलवर की जनसुनवाई में सबसे अधिक फरियादी पहुंचते थे। यही नहीं शिकायतें सर्वाधिक आती थीं लेकिन उनका निस्तारण भी काफी संख्या में यहां होता था। प्रदेश में जनसुनवाई की शिकायतों में हम आगे रहे और निस्तारण में भी।
तहसील अलवर में देसूला गांव में एक खेल मैदान सामने आया। राजस्थान पत्रिका ने प्रशासन को बताया कि मास्टर प्लान में देसूला में एक खेल मैदान चिन्हित किया हुआ है। करीब 10 बीघा के इस खेल मैदान की कीमत 50 करोड़ है। इस खेल मैदान पर 80 परिवारों ने कब्जा किया हुआ है। मामला सामने आने के बाद इसका सर्वे हुआ और अब प्रशासन इस खेल मैदान को खाली करवाने की तैयारी में है। हालांकि इसके लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी।
मिनी सचिवालय में अफसर बैठ रहे हैं। उसी के पास में कोर्ट भवन बन रहा है। रूडसिको इसका निर्माण कर रही है। काम में देरी हो रही है। करीब 48 करोड़ रुपए सरकार की ओर से और दिए गए हैं। इससे तीसरी मंजिल इस भवन की तैयार होगी। इसी बीच वकीलों ने कोर्ट भवन में चैंबर आवंटन को लेकर काफी लंबे समय तक धरना-प्रदर्शन किया। आखिर में प्रशासन की ओर प्रस्ताव बनाया गया कि सरस डेयरी की कोर्ट भवन के पास जमीन वकीलों के चैंबर के लिए आरक्षित की जाए। प्रस्ताव सरकार को भेजा गया। वहां से लगभग ये प्रस्ताव पास हो गया था।