करीब तीन साल पहले पहला भालू जालौर के जंगल से सरिस्का में लाया गया था। माउंट आबू, सिरोही के जंगल से भी भालू यहां लाए गए। उसके बाद संख्या लगातार बढ़ती गई। इस समय यहां 4 भालू हैं। ये सभी भालू इस समय सरिस्का के चट्टानी इलाकों में अपना डेरा जमाए हुए हैं। मुख्य जंगल व पर्यटक जोन में आने से बच रहे हैं। वन्यजीव एक्सपर्ट प्रेमनाथ कहते हैं कि भालू शहद पसंद करते हैं। चट्टानों पर शहद ज्यादा मिलता है। ऐसे में वहां ज्यादा रहना पसंद करते हैं। जंगल जब बदलता है तो भालू को उस परिवेश में ढलने में समय भी लगता है, ये भी एक दूरी का कारण हो सकता है।
आबादी में पहुंच गए थे भालू अप्रेल 2023 में भालुओं का जोड़ा यहां लाया गया था। ये सरिस्का के जंगल में छोड़े गए तो सीधे आबादी एरिया में पहुंच गए थे। बानसूर के हरसोरा के पहाड़ी क्षेत्र में देखे गए। बल्लाना गांव में भी आ गए थे। बाद में वन विभाग की टीम ने एमआईए के पास से इन्हें पकड़ा। एक वन्यकर्मी पर भी भालू ने हमला किया था।
पहली बार किए गए थे ट्रांसलॉकेट सरिस्का में पहली बार भालू ट्रांसलॉकेट किए गए थे। यानी उन्हें बिना बेहोश किए ही यहां लाया गया था। ये अपने में अलग प्रयोग था।