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इस एक मामले में क्यों घिर गई जिला परिषद

गुरुगोलवरकर जन सहभागिता योजना की जांच में हुए गड़बड़झाले की रिपोर्ट सरकार ने जिला परिषद से मांगी है। शासन सचिव ग्रामीण विकास विभाग आशुतोष एटीपेडणेकर ने सीईओ को पत्र लिखा है। तथ्यात्मक रिपोर्ट के अलावा पूर्व में कराई गई जांच रिपोर्ट भी मांगी है।

अलवरApr 29, 2024 / 11:36 am

susheel kumar

गुरुगोलवरकर जन सहभागिता योजना की जांच में हुए गड़बड़झाले की रिपोर्ट सरकार ने जिला परिषद से मांगी है। शासन सचिव ग्रामीण विकास विभाग आशुतोष एटीपेडणेकर ने सीईओ को पत्र लिखा है। तथ्यात्मक रिपोर्ट के अलावा पूर्व में कराई गई जांच रिपोर्ट भी मांगी है। इससे परिषद के कई लोगों में खलबली मची हुई है। बताते हैं कि सरकार इस मामले में कार्रवाई करने जा रही है। मालूम हो कि सरकार ने पहले भी इसकी रिपोर्ट मांगी थी लेकिन परिषद ने अनसुना कर दिया था।
90 फीसदी राशि देती है सरकार

ग्रामीण विकास विभाग की ओर से ग्रामीण क्षेत्रों में श्मशान व कब्रिस्तान में विकास कार्य कराने के लिए संचालित गुरुगोलवरकर जन सहभागिता योजना में बड़ी अनियमितता उजागर हुई थी। इस योजना में कुल स्वीकृत राशि का 10 फीसदी जन सहयोग जमा होता है और बाकी 90 प्रतिशत राशि सरकार की ओर से स्वीकृत की जाती है। इस योजना की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति जिला कलक्टर से अनुमोदित होती है।
इस तरह हुआ था खेल

वर्ष 2018 में पंचायत समिति तिजारा की ग्राम पंचायत रूपबास, पालपुर व मायापुर के सरपंचों की ओर से संयुक्त शिकायत तत्कालीन सीईओ जिला परिषद को सौंपी गई थी। इस शिकायत में सरपंचों ने योजना में स्वीकृति की एवज में कार्मिकों की ओर से अवैध लाभ प्राप्त करने की मांग सहित कई अन्य अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया था। इस पर जांच हुई और योजना में जारी की गईं स्वीकृतियों में भारी अनियमितताएं पाई गई थी। इस प्रकरण को राजस्थान पत्रिका ने प्रमुखता से उठाया था। अब सरकार ने जवाब मांगा है।
जांच में यह हुआ था खुलासा

– जांच अधिकारी ने पाया कि वर्ष 2017-18 में योजना की स्वीकृतियों में पारदर्शिता नहीं बरती गई। योजना के दिशा निर्देश, पंजिका व परिपत्रों की पालना नहीं की गई।
– इन परिपत्रों में वरीयता पंजिका में कार्य के दर्ज होने की अनिवार्यता का उल्लेख किया गया है। वहीं सॉफ्टवेयर से मिलान करने पर वर्ष 2017-18 में कार्य वरीयता पंजिका में दर्ज मिले, लेकिन उनकी स्वीकृति जारी नहीं की गई, जबकि कुछ कार्यों की स्वीकृति जारी मिली, लेकिन वे वरीयता पंजिका में दर्ज नहीं थे।
– कुछ कार्य ऐसे भी मिले, जिनके प्रस्ताव समय से कार्यालय में प्राप्त हो गए थे, लेकिन उनकी प्रशासनिक स्वीकृति जारी करने में विलंब किया गया।

– वर्ष 2018-19 में कार्यों का विवरण ऑनलाइन सूची में दर्ज था लेकिन वरीयता पंजिका में दर्ज नहीं था। जांच में कई ऐसे भी कार्य मिले जिनकी प्रशासनिक स्वीकृति जारी की गई लेकिन वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं की गई।

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