उसे रामनगर सरपंच रोहित सिंह व एक अन्य व्यक्ति द्वारा सीढिय़ों से नीचे कंधे पर ढोकर उतारा गया, यहां से बाइक में बैठाकर लक्ष्मण गुफा तक लाया गया, फिर म्बुलेंस में बैठाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उदयपुर ले गए।
यहां डॉक्टर ने बच्चे की गंभीर स्थिति को देखते हुए प्राथमिक चिकित्सा के बाद अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया। इस दौरान बालक द्वारा लगातार खून की उल्टी कर रहा था।
गौरतलब है कि रामगढ़ में प्रतिवर्ष होने वाले इतने बड़े आयोजन में प्रशासनिक उपेक्षा लगातार नजर आ रही है। सीता बेंगरा से लेकर ऊपर की पहाड़ी में स्थित राम जानकी मंदिर तक रामनवमी में हजारों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आवागमन के बावजूद पुलिस के दो-चार आरक्षकों के अलावा प्रशासन के कोई भी नुमाइंदे नजर नहीं आते। घटना, दुर्घटना और किसी आपात स्थिति से निपटने के लिए किसी भी तरह की कोई व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं की जाती है।
मेडिकल सुविधा के नाम पर एक एम्बुलेंस में कुछ स्टाफ बैठे मिलते हैं, इसके अतिरिक्त कोई स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं होती। रामगढ़ मेला समिति द्वारा मेले में वाहन चालकों और दुकानदारों से सिर्फ वसूली का काम किया जाता है, इनके द्वारा कोई भी व्यवस्था नही की जाती है। मेले के अवसर पर प्रत्येक वर्ष कोई न कोई घटना दुर्घटना हो जाती है, इसके बावजूद प्रशासन की नींद नहीं टूट रही है।