गौरतलब है कि अंबिकापुर से बरवाडीह तक लाइन बिछाने का काम आज भी अधूरा है। इसकी मांग कई वर्षों से की जा रही है। प्रस्तावित रेललाइन के अंतिम सर्वे के लिए साढ़े 4 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है।बरवाडीह से सभी रूट की ट्रेनें है। अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन लाइन के विस्तार से छत्तीसगढ़ व झारखंड के गांव शहर सीधे मुंबई, हावड़ा से जुड़ जाएंगे। वहीं उत्तर छत्तीसगढ़ को व्यापारिक दृष्टि से बड़ा लाभ मिलेगा।
रेलवे प्रबंधन ने कलेक्टर को लिखा पत्र
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के उप मुख्य अभियंता कार्यालय निर्माण-१ शहडोल ने बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के कलेक्टर को पत्र लिखकर अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन के अंतिम स्थल सर्वेक्षण हेतु आवश्यक जानकारियां मांगी है। इस पत्र में अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन में प्रभावित होने वाले कुल 43 ग्रामों का उल्लेख करते हुए इनका नक्शा व बाजार भाव भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार करने हेतु जानकारी मांगी गई है।
सभी तहसीलदारों से मांगी गई जानकारी
रेलवे द्वारा लिखे गए पत्र के आधार पर बलरामपुर जिला प्रशासन ने भी तत्काल इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है। डिप्टी कलेक्टर के प्रभावित ग्रामों के संबंधित तहसील राजपुर, बलरामपुर व डौरा-कोचली के तहसीलदारों को पत्र लिखकर ग्रामों के नक्शा व भूमि के बाजार भाव के संबंध में विस्तृत जानकारी देने को कहा है ताकि रेलवे द्वारा इन जानकारियों के आधार पर भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव तैयार किया जा सके।
रेलवे की सूची में ये ग्राम हैं शामिल
अंबिकापुर-बरवाडीह रेल लाइन से प्रभावित बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के कुल ४३ ग्रामों के संबंध में जानकारियां मांगी गई है। इनमें ककना, सिधमा, मधेश्वरपुर, बरियों, डकवा, परसागुड़ी, करजी, चांची, नवकी, बगड़ी, राजपुर, पतरातु, लदकुंड, अलखडीहा, बासेन, कर्रा, झिंगो, लुरगी, सरगड़ी, सरगवां, घाघरा, झलरिया, बथौरा, पाढ़ी, बैरामु, पस्ता, झपरा, पीपरसोत, खडिय़ादामर, तरकाखांड़, चंदरपुर, भेलवाडीह, जमुआटांड़, जावर, बडक़ीमहरी, नवाडीह कला, दलधोवा, मगरहरा, अमडंडा, महाराजगंज, भैसामुंडा, कृष्णनगर व रामनगरकला शामिल हैं।