महीने की तनख्वाह न तो घर पहुंचती थी और न मुझे मिलती थी। शराब के नशे में मालिक-मालकिन द्वारा अक्सर मारपीट भी की जाती थी। माता-पिता के साथ कुछ दिन पहले ही घर लौटी हूं। बहन को भी डेढ़ साल पहले भैया-भाभी ले गए थे और दिल्ली बेच दिया है। परिवार को उसकी कोई खबर नहीं है। करीब एक साल से उससे कोई संपर्क भी नहीं हो सका है।
यह दर्दभरी कहानी दिल्ली से लौटी जशपुर जिले के नारायणपुर की रहने वाली 14 वर्षीय मासूम लड़की ने पत्रिका से बातचीत के दौरान साझा की। उसने बताया कि उसके पड़ोस के गांव में रहने वाला सुरेश और उसकी पत्नी नंदिनी जुलाई २०१६ के आसपास उसकी बड़ी बहन को पढ़ाने के नाम पर दिल्ली ले गए थे।
बड़ी बहन को ले जाने के तीन महीने बाद दंपत्ति फिर गांव आया था। यहां उसने पीडि़ता के मां-बाप को बताया कि वे उनकी छोटी बेटी को साथ ले जाना चाहते हैं। वे उसकी मुलाकात उनकी बड़ी बेटी से करवा देंगे। परिवार को बहला-फुसलाकर वे मासूम को अपने साथ तो ले गए लेकिन बड़ी बहन से उसकी मुलाकात कभी नहीं कराई गई।
दो बार फोन पर बात हुई तो वह काफी दुखी थी। जिस घर में उसे बेचा गया था वहां उसे ‘सुबह एक रोटी और चाय फिर शाम को एक रोटी और चाय’ ही दिया जाता था। दिन भर काम करके वह टूट चुकी थी।
घर से बाहर नहीं निकलने देते थे। किसी तरह से उसने इसकी जानकारी माता-पिता को दी और वापस लौट कर आ गई। लौटने के बाद परिवार ने जशपुर जिले के नारायणपुर थाने में शिकायत भी की थी लेकिन आरोप है कि वहां से कोई खास मदद अब तक नहीं मिली। अंबिकापुर महिला बाल विकास विभाग उसकी मदद को सामने आया है।
बड़ी बहन कह रही थी ‘मुझे यहां से निकालो’
उसने बताया कि जब बड़ी बहन से बात हो रही थी तो वह दुखी थी। उसके साथ मारपीट होती है। वह दिल्ली में नहीं रहना चाहती। गांव लौटना चाहती है। वह कह रही थी कि ‘मुझे यहां से निकालो।’
शराब पीकर करते थे मारपीट
पीडि़ता ने बताया कि जिस घर में उसे बेचा गया था वह कोई व्यापारी परिवार था। वहां उसके साथ मालिक शराब के नशे में मारपीट करता था। परिवार के सदस्य इसका विरोध भी नहीं करते थे।