scriptछत्तीसगढ़ में सेब का पहला बागान यहां तैयार, मिलेंगे लाल व हरे सेब, हिमाचल प्रदेश जैसा यहां सबकुछ | Apple orchard: The first apple orchard in Chhattisgarh is ready here | Patrika News
अंबिकापुर

छत्तीसगढ़ में सेब का पहला बागान यहां तैयार, मिलेंगे लाल व हरे सेब, हिमाचल प्रदेश जैसा यहां सबकुछ

Apple orchard: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुपलति ने अपने मैनपाट दौरे के समय यहां की जलवायु को बताया था फलों की खेती के लिए अनुकूल

अंबिकापुरAug 27, 2019 / 03:25 pm

rampravesh vishwakarma

छत्तीसगढ़ में सेब का पहला बागान यहां तैयार, मिलेंगे लाल व हरे सेब, हिमाचल प्रदेश जैसा यहां सबकुछ

Apple orchard

अंबिकापुर. छत्तीसगढ़ के मैनपाट में सेब की पहली फसल (Apple orchard) तैयार हो चुकी है। अब मैनपाट की जमीन पर वहां के किसान जल्द ही सेब की खेती करते नजर आएंगे। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा ग्राम बरिमा व केसरा में हिमाचल प्रदेश के डॉक्टर वाईएस परमार कृषि विश्वविद्यालय सोलन से लाए गए सेब के बीज का सफल परीक्षण किया जा चुका है।
कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा मैनपाट के 20 से 25 कृषकों को सेब (Apple orchard) का बीज दिए गए हंै। वैज्ञानिकों के अनुसार आने वाले दिनों में सरगुजा के बाजारों में जल्द ही मैनपाट के किसानों द्वारा उत्पादित रेड व ग्रीन सेब मिलेंगे, जो काफी कम दर पर उपलब्ध होंगे।
छत्तीसगढ़ में सेब का पहला बागान यहां तैयार, मिलेंगे लाल व हरे सेब, हिमाचल प्रदेश जैसा यहां सबकुछ
मैनपाट के आलू अनुसंधान केंद्र में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आरके पाटिल ने अपने दौरे के दौरान मैनपाट के जलवायु को देखते हुए वहां फलों की खेती को बढ़ावा देने को कहा था। इसके साथ ही आलू अनुसंधान केन्द्र का नाम आलू एवं शीतोष्ण फल अनुसंधान केंद्र रखा था।
इसके बाद से ही कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा वहां अलग-अलग प्रजाति के फलों की खेती का सफल प्रशिक्षण किया। अब हिमाचल प्रदेश के सोलन में स्थित डॉक्टर वाईएस परमार कृषि विश्वविद्यालय से तीन वर्ष पूर्व लाए गए बीजों को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा ग्राम बरिमा व केसरा की 3 एकड़ भूमि पर सेब के बीजों को लगाया गया था।
सफल उत्पाद प्राप्त करने के बाद वैज्ञानिकों द्वारा मैनपाट के किसानों को भी फलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। कुछ किसान फसलों को देखने के बाद अनुसंधान केंद्र से स्वयं ही सेब बीज खरीदकर ले गए हैं।
छत्तीसगढ़ में सेब का पहला बागान यहां तैयार, मिलेंगे लाल व हरे सेब, हिमाचल प्रदेश जैसा यहां सबकुछ
मैनपाट की जलवायु हिमाचल जैसी
कृषि अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक पीएस चौरसिया ने बताया कि मैनपाट की जलवायु ठंडी है, यह मौसम काफी हद तक हिमाचल प्रदेश से मिलता-जुलता है। इसके साथ ही पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना से भी अलग-अलग प्रकार के फलों के बीज लाए गए थे, उसमें अंगूर, आलू बटाटा, अनानास, नाशपाती शामिल हंै। इनका सफल प्रशिक्षण कर अंगूर व नासपाती सहित सभी प्रकार के फलों की खेती की जा रही है।

तीन एकड़ जमीन पर सफल परीक्षण
इंदिरा गांधी कृषि अनुसंधान केंद्र ग्राम बरिमा के एक एकड़ व केसरा की 2 एकड़ जमीन पर सेब के उत्पादन का सफल प्रयोग किया है, अब फसल भी शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि यहां सेब का प्लांटेशन भी तैयार किया जा रहा है। एक सेब के पौधे में कम से कम 15 किलो तक फल प्राप्त किया जा रहा है। जैसे-जैसे पेड़ बड़े होंगे, उसका प्रबंधन ठीक से किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ में सेब का पहला बागान यहां तैयार, मिलेंगे लाल व हरे सेब, हिमाचल प्रदेश जैसा यहां सबकुछ
ज्यादा आय प्राप्त कर सकते हैं किसान
कम ठंड वाली बीज होने की वजह से मैनपाट के किसान सेब की फसल को लगाकर ज्यादा आय प्राप्त कर सकते हैं। जानकारों के अनुसार एक पौधे से किसान एक वर्ष के बाद से ही फसल प्राप्त कर सकते हैं। सेब का पौधा जैसे-जैसे बड़ा होता है, उससे किसान ज्यादा फसल प्राप्त कर सकते हैं।
अब तक सरगुजा में हिमाचल व कश्मीर से सेब आते थे, ट्रांसपोर्टिंग खर्च ज्यादा होने की वजह से सरगुजा पहुंचते ही सेब काफी महंगा हो जाता है। मैनपाट से सेब की फसल आने के बाद कम ट्रांसपोर्टिंग खर्च होने की वजह से बाजार में कम दर पर सेब की फसल मिल सकती है।

ग्रीन व लाल सेब दोनों का किया जाएगा उत्पादन
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार हिमाचल प्रदेश से जो सेब बीज लाए गए हैं। उससे ग्रीन व लाल सेब दोनों ही प्राप्त किए जा सकते हंै। ग्रीन सेब मिलने की वजह से अब बाजार में इसकी शार्टेज नहीं होगी।
छत्तीसगढ़ में सेब का पहला बागान यहां तैयार, मिलेंगे लाल व हरे सेब, हिमाचल प्रदेश जैसा यहां सबकुछ
15 एकड़ से अधिक भूमि पर किसान लगा रहे सेब
अनुसंधान केंद्र से तिब्बती केंद्र क्रमांक-4 के किसान डुडुप, कुदारीडीह के कपिल राम बघेल, बरिमा के मनमोहन यादव, रोपाखार के रजनीश कुमार सहित अन्य किसानों को सेब बीज दिए गए हंै। उनके द्वारा 15 एकड़ से अधिक भूमि पर सेब की खेती की जा रही है। इसके साथ ही काला व हरा अंगूर, आलू बुखारा, नाशपाती व अनानास की भी खेती की जा रही है।

इन प्रजातियों का हुआ परीक्षण
हिमाचल प्रदेश से सेब की अलग-अलग प्रजाति अन्ना, ट्रासेड गोल्डन, गेलगाला, जिप्सन गोल्डन का उत्पादन किया जा रहा है। इन सभी प्रजातियों के सेब मैनपाट के जलवायु से मैच कर गए हैं।

हिमाचल प्रदेश से काफी मिलती है यहां की जलवायु
हिमाचल प्रदेश व मैनपाट की जलवायु लगभग मिलती-जुलती है। सेब सहित अन्य फलों का भी उत्पादन मैनपाट में शुरू हो गया है। बेहतर प्रबंधन के साथ सेब की अच्छी फसल प्राप्त की जा सकती है।
पीसी चौरसिया, कृषि वैज्ञानिक, आलू एवं शीतोष्ण अनुसंधान केंद्र

मैनपाट से संबंधित खबरें पढऩे के लिए क्लिक करें- Manipat News

Home / Ambikapur / छत्तीसगढ़ में सेब का पहला बागान यहां तैयार, मिलेंगे लाल व हरे सेब, हिमाचल प्रदेश जैसा यहां सबकुछ

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो