मुखबिर की सूचना पर क्राइम ब्रांच व मणिपुर चौकी की टीम ने एनडीपीएस एक्ट की धारा 21 (बी) के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था।
अंबिकापुर के केनाबांध निवासी 32 वर्षीय अविनाश मिश्रा पिता नरेंद्र कुमार मिश्रा आरक्षक के पद पर पदस्थ था। वह वर्दी की आड़ में ब्राउनशुगर बेचने का धंधा करता था। उसे मुखबिर की सूचना पर क्राइम ब्रांच व मणिपुर पुलिस की टीम ने दर्रीपारा महिला अस्पताल के पीछे ब्राउन शुगर बेचने के फिराक में घूमने के दौरान पकड़ा था।
उससे जब नाम पूछा गया तो उसने अपना नाम अविनाश मिश्रा बताया था। तलाशी में उसके पास से 7.15 ग्राम ब्राउन शुगर पुलिस को मिला था। पुलिस ने अविनाश मिश्रा को एनडीपीएस एक्ट की धारा 21(बी) के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। मामले की सुनवाई न्यायालय विशेष न्यायाधीश (एनडीपीएस एक्ट) आलोक कुमार के न्यायालय में चल रहा था।
मामले में सुनवाई के दौरान आए साक्ष्य के आधार पर मंगलवार को विशेष न्यायाधीश आलोक कुमार ने फैसला सुनाया। मामले के आरोपी अविनाश मिश्रा को धारा 21 (बी) के तहत 7 वर्ष के सश्रम कारावास से दंडित करने के साथ ही 50 हजार रुपए के अर्थदंड से दडित किया है। अर्थदंड नहीं पटाने पर 2 वर्ष के अतिरिक्त कारावास की भी सजा सुनाई गई है।
नशे से भविष्य पर पड़ रहा है विपरीत असर
सजा सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश आलोक कुमार ने नशे को लेकर काफी कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने अपने फैसले में लिखा है कि ‘मादक पदार्थ के सेवन से युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त मे आ रहे हैं।
इससे उनके भविष्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है और इसके प्रभाव से देश व समाज भी अछूता नहीं रहा है। क्योंकि अधिकांश अपराध नशे की गिरफ्त में आए युवकों द्वारा किया जा रहा है।