ग्रामीणों की सूचना पर वन अमला मौके पर पहुंच चुका है। हाथी की मौत कैसे हुई, फिलहाल इसका पता नहीं चल सका है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही इसका खुलासा होगा।
गौरतलब है कि पिछले 4 महीने में प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में 4 हाथियों की मौत हो चुकी है। करंजवार जंगल में हाथी की मौत का यह दूसरा मामला है। इससे पूर्व यहां हाथी का सड़ा-गला शव (Elephant dead body) मिला था। शव काफी पुराना हो चुका था लेकिन वन विभाग के नुमाइंदों को इसकी भनक तक नहीं लगी थी।
गौरतलब है कि पिछले 4 महीने में प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में 4 हाथियों की मौत हो चुकी है। करंजवार जंगल में हाथी की मौत का यह दूसरा मामला है। इससे पूर्व यहां हाथी का सड़ा-गला शव (Elephant dead body) मिला था। शव काफी पुराना हो चुका था लेकिन वन विभाग के नुमाइंदों को इसकी भनक तक नहीं लगी थी।
ग्रामीणों द्वारा सूचना दिए जाने के बाद उन्हें जानकारी लगी थी। इसी बीच रविवार की सुबह एक और दंतैल हाथी का शव मिला। हाथी के शव के आस-पास किसी अन्य हाथी से संघर्ष के निशान भी नहीं मिले हैं। हाथी के मुंह के पास से खून निकलने के निशान जरूर हैं।
2 हथिनियों की हुई थी मौत
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र के गणेशपुर जंगल में 2 महीने पहले 2 हथिनियों का शव मिला था। इस मामले की उच्चस्तरीय जांच चल रही है। वहीं राजपुर वन परिक्षेत्र में हथिनी के शव (Elephant dead) मिलने के बाद वन विभाग के कई आला तथा निचले स्तर के कर्मचारियों पर गाज गिरी थी।
कब रुकेगा हाथियों की मौत का सिलसिला?
प्रतापपुर वन परिक्षेत्र में जिस तरह से हाथियों की मौत का सिलसिला जारी है, उससे कुछ ही दिनों में हाथी यहां देखने को नहीं मिलेंगे। वन अमले का रवैय्या भी हाथियों को लेकर उदासीन है।
उन्हें हाथियों के लोकेशन की जानकारी भी पुख्ता नहीं रहती है। ऐसे में हाथी लोगों के घर तोडऩे के अलावा जनहानि भी करते हैं। वन विभाग की रेडियो कॉलर लगाकर लोकेशन पता करने की योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है।