प्रशासनिक उदासीनता के कारण यह स्थल धीरे-धीरे बदरंग होता जा रहा है। जबकि प्रतिदिन दर्जनों लोग जमीन से निकल रहे गर्म पानी के कुण्ड को देखने पहुंचते हैं। यहां पर न तो पर्यटकों के रहने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है और न ही बिजली-पानी की व्यवस्था है। तातापानी पहुंचने वाले पर्यटक पीने के पानी के लिए ही तरसते हैं। जबकि तातापानी यानी जल स्रोत के नाम से प्रसिद्ध है।
गौरतलब है कि कुछ वर्षों पूर्व तातापानी को पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर सीसी सड़क, शेड का निर्माण, धर्मशाला आदि का निर्माण कराया गया था। इसके बाद प्रशासनिक उपेक्षा की वजह से यह स्थल धीरे-धीरे बदरंग होता जा रहा है।
60 फिट ऊंची है शिव की प्रतिमा
यहां 60 फिट ऊंची शिव की प्रतिमा का निर्माण कराया गया है। जो काफी भव्य नजर आता है। प्रतिमा के नीचे 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। यहां धर्मशाला भी बनाया गया है। इससे यहां साल भर लोगों का आना जाना लगा रहता है। यहां की खूबसूरती बढ़ाने 60 फिट का मुख्य द्वार बनाया गया है। गर्म पानी के कुंड में हमेशा पानी उबलता रहता है।
यह है मान्यता
पुजारी (सेवकिया) बिहारी राम भगत ने बताया कि यहां के मान्यता के बारे में बताया कि भगवान श्रीराम ने यहां शिव प्रतिमा की स्थापना कर रमचवरा पहाड़ में विश्राम किया था। गांव के एक व्यक्ति को सपना आया और उसने शिव मंदिर बनाया और उस समय से यहां स्नान कर शिव दर्शन की परम्परा चली आ रहा है। यहां के कई स्थानों पर धरती से गर्म जल निकलता है। इस गर्म कुण्ड को देखने लोग प्रतिदिन हजारों की संख्या में पहुंचते हैं।
पुजारी बिहारी राम भगत ने बताया कि धरती से निकल रहे गर्म जल का उपयोग लोग बीमारी ठीक करने में भी करते हैं। गर्म जल से नहाने से 36 प्रकार की बीमारी ठीक होती है। लोग प्रति दिन काफी संख्या में खाज-खुजली, कुष्ठ सहित कई बीमारियों से पीडि़त लोग स्नान करने पहुंचते हैं। यहां के पानी से स्नान करने से बीमारी ठीक हो जाती है। कई लोग यहां के गर्म पानी को बॉटल व जरकिन में भरकर ले जाते हैं और नहाते हैं।
सिंचाई के अभाव में सूख रहे पेड़-पौधे
पर्यटन स्थल को बढ़ावा देने व आस पास के क्षेत्रों को हरियाली रखने के लिए प्रशासन द्वारा पेड़ पौधों व गार्डन का निर्माण तो करा दिया गया है। लेकिन सिंचाई न होने के कारण सभी पौधे सूख रहे हैं।