बाजार में दूध और उससे संबंधित उत्पाद की मांग पूरे वर्ष भर रहती है। आजकल झारखंड या फिर बिलासपुर से सिंथेटिक अथवा नकली दूध का कारोबार जोरों पर है। दूध की सप्लाई कम और डिमांड अधिक होने से सिंथेटिक दूध और उससे बने अन्य उत्पाद बाजार में बेधड़क बेचे जा रहे हैं।
सिर्फ त्योहारों पर जागता है विभाग
जिला एवं खाद्य विभाग को ऐसे सभी जगह दबिश देकर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं विभाग द्वारा अब तक सिर्फ त्योहारों पर ही कार्रवाई की गई है। जबकि पूरे साल भर इस तरह के नकली पनीर बाजार में खप रहे हैं।
फिक्स है अफसरों तक पहुंचने वाला कमीशन
बाहर से लाकर पनीर शहर में खपाने वाले एक व्यक्ति ने अपना नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि एक कैरेट के पीछे पुलिस विभाग के कुछ लोगों को प्रतिदिन 400 व खाद्य विभाग के कर्मचारी को भी इतनी ही राशि दी जाती है। इसकी वजह से आज तककोई कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि इसकी जानकारी दोनों विभाग के अधिकारियों को है।
कोरिया जिले तक खपता है 120 रुपए किलो पनीर
पनीर के संबंध में बताया गया कि अंबिकापुर के लगभग सभी होटलों में सिंथेटिक पनीर पहुंचाया जाता है। जब सीजन होता है तो यह पनीर 120 रुपए व ऑफ सीजन में यही पनीर 90 रुपए किलो तक पहुंचाया जाता है।
रात के अंधेरे में पहुंचता है घटिया पनीर
जब पूरा शहर सो रहा होता है तो रात के अंधेरे में लगभग 2.30 बजे के आसपास प्रतीक्षा बस स्टैंड के समीप रांची से एक बस में प्रतिदिन 15 से 20 कैरेट पनीर पनीर उतारा जाता है। यह पनीर सत्तीपारा में एक व्यक्ति के घर पहुंचता है, जहां से पनीर को होटलों के साथ ही सबसे ज्यादा विवाह के दौराना खपाया जाता है। एक कैरेट में लगभग 45 से 50 किलो पनीर कपड़े में लपेटकर लाया जाता है।
सेवन करने से हो सकता है कैंसर
पनीर बनाने में उपयोग किए जाने वाले कास्टिक सोडा व यूरिया से हृदय, लीवर व किडनी को नुकसान होता है। इसके साथ ही कास्टिक सोडे से सांस की बीमारियां, अंतडिय़ों के जख्म व गॉल ब्लैडर का कैंसर होता है।