scriptआकाशीय बिजली को नियंत्रित करने इसरो सरगुजा में खोज रहा तकनीक, अंतरिक्ष के उपकरणों में कर सकता है उपयोग | ISRO: ISRO is exploring technology in Surguja to control Sky lightning | Patrika News
अंबिकापुर

आकाशीय बिजली को नियंत्रित करने इसरो सरगुजा में खोज रहा तकनीक, अंतरिक्ष के उपकरणों में कर सकता है उपयोग

ISRO: सरगुजा में एलडीएस (Light Detecting System) लगाकर की जा रही मॉनिटरिंग, राज्य में रायपुर (Raipur) व जगदलपुर (Jagdalpur) में भी लगाया गया है उपकरण, सरगुजा (Surguja) व बस्तर संभाग (Bastar Region) में गाज (Sky Lightning) गिरने के सर्वाधिक मामले

अंबिकापुरJun 06, 2021 / 03:30 pm

rampravesh vishwakarma

LDS System

ISRO searching technology in Surguja

अम्बिकापुर. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) (ISRO) ने अंबिकापुर के राजीव गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय (पीजी कॉलेज) में एलडीएस (लाइट डिटेक्टिंग सिस्टम) लगाया है। इससे संभाग के विभिन्न इलाकों में गिरने वाले गाज (आकाशीय बिजली) (Celestial Elecricity) की मॉनिटरिंग की जा रही है।
मशीन की देख-रेख का जिम्मा इसरो ने कॉलेज के भौतिकी विभाग (Physics Department) को सौंपा है। कयास लगाए जा रहे हैं कि यहां गिरने वाली आकाशीय बिजली (Sky Lightning) का इस्तेमाल इसरो अंतरिक्ष के उपकरणों के लिए कर सकता है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं कि गई है।
ISRO
IMAGE CREDIT: LDS system in Ambikapur
कॉलेज में लगाया गया उपकरण पूर्णत: कंप्यूटराइज्ड और ऑटो ऑपरेटेड है। सरगुजा और बस्तर संभाग को गाज के दृष्टिकोण से बेहद संवेदनशील माना जाता है। सरगुजा सम्भाग में जशपुर, बलरामपुर व सरगुजा जिले के मैनपाट (Mainpat) व लखनपुर इलाके में गाज गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं।

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इससे जान-माल का खासा नुकसान होता है जो चिंता का विषय है। ऐसे में मशीन के माध्यम से मॉनिटरिंग कर इन पर अंकुश लगाने की भी कोशिशें किये जाने की खबर है। इसरो इस कोशिश में भी है कि ऐसी व्यवस्था की जा सके कि आकाशीय बिजली से होने वाली मौतों पर अंकुश लगाया जा सके।
LDS system in Surguja
IMAGE CREDIT: ISRO
300 किलोमीटर का रेडियस
एलडीएस (LDS) का रेडियस करीब 300 किलोमीटर का है। इससे सरगुजा के कुछ सीमावर्ती इलाके भी कवर किये जा रहे हैं। प्रदेश में लगाए गए तीन उपकरणों की मदद से इसरो पूरे प्रदेश की मॉनिटरिंग कर रहा है।

इसरो कई शोध कर रहा है
इसरो अपनी सूचनाएं साझा नहीं करता। इसरो (ISRO) कई प्रकार के शोध कर रहा है। इनमें आकाशीय बिजली की तीव्रता मापन, इसका नियंत्रण और उपयोग आदि शामिल हो सकता है।
डॉ. एसके त्रिपाठी, पूर्व प्राचार्य, पीजी कॉलेज अंबिकापुर

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