एमसीआई की 3 सदस्यीय टीम गुरुवार की सुबह अचानक मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंची। निरीक्षण से पूर्व एमसीआई ने इसकी जानकारी कॉलेज प्रबंधन को भी नहीं दी थी। सुबह 9 बजे जब टीम के सदस्य मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो कोई भी स्टॉफ नहीं पहुंचा था। इसकी जानकारी जब डीन डॉ. पीएम लुका को दी गई तो उन्होंने तत्काल सभी डॉक्टरों को इसकी जानकारी दी।
अस्पताल व कॉलेज मे एक साथ हुई हेड काउंटिंग
एमसीआई की टीम ने एक साथ मेडिकल कॉलेज व अस्पताल दोनों जगह डॉक्टरों व टीचिंग स्टॉफ के साथ ही नर्सिंग व अन्य कर्मचारियों की गिनती की। अस्पताल में क्लीनिकल स्टॉफ, नर्सिग स्टॉफ व कॉलेज में टीचिंग फैकल्टी की गिनती की गई। काउटिंग के दौरान इस बार आसपास के स्वास्थ केंद्रों से डॉक्टरों को नहीं बुलाया गया था।
24 प्रतिशत कम रही फैकल्टी
मानक के अनुसार फैकल्टी में डॉक्टरों की जितनी संख्या होनी चाहिए, उसमें लगभग 24 फीसदी कम पाई गई। कई डॉक्टर जिन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है उनकी जगह पर कोई अन्य फैकल्टी की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। फैकल्टी की कमी भी मान्यता के राह में एक बड़ा अडंगा बन सकता है।
एमसीआई टीम में ये थे शामिल
एमसीआई टीम के चीफ को-ऑर्डिनेटर एमपी श्याम, मेडिकल कॉलेज जामनगर गुजरात के डॉ. डी. वासदा थे। उनके नेतृत्व में ही टीम निरीक्षण के लिए पहुंची थी। इसमें राजस्थान के झालावाड़ा मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. पंकज कुमार गुप्ता व कर्नाटका के हसन इस्ट्ीटयूट मेडिकल सांइस कॉलेज के डॉ. विट्टल डीजी शामिल थे।
भवन निर्माण का दिखाया मानचित्र
एमसीआई के निरीक्षण में हर वर्ष भवन की कमी एक मुख्य वजह बनती है। हर बार भवन निर्माण की प्रक्रिया की जानकारी कॉलेज प्रबंधन द्वारा एमसीआई को दी जाती है। लेकिन इस बार निरीक्षण से पूर्व एमसीआई के टीम को भवन निर्माण के लिए तैयार किए गए मानचित्र को दिखाने के साथ ही सरकार द्वारा एक साथ 361 करोड़ रुपए की निविदा जारी किए जाने की जानकारी दी गई। यह निविदा 12 सितंबर को खुलेगी।