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अंबिकापुर

बिना सूचना MCI की टीम जांच में पहुंची तो मेडिकल कॉलेज अस्पताल से नदारद थे डॉक्टर, फिर हुआ ये…

चौथे सत्र की मान्यता देने लायक मेडिकल कॉलेज है भी की नहीं, जांचने पहुंची थी एमसीआई की टीम, फैकल्टी व मेडिकल उपकरणों की पाई गई कमी

अंबिकापुरSep 06, 2018 / 07:46 pm

rampravesh vishwakarma

MCI team in medical college

MCI team in Medical college

अंबिकापुर। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की ३ सदस्यीय टीम बिना सूचना दिए एमबीबीएस के चतुर्थ सत्र के प्रवेश हेतु गुरुवार को निरीक्षण के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची। इस दौरान ड्यूटी टाइम होने के बावजूद डॉक्टर नहीं पहुंचे थे। टीम ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल सहित कॉलेज के स्टॉफ से मुलाकात की।
फैकल्टी की कमी के बीच सदस्यों ने अस्पताल में उपकरणों की कमी को भी कॉलेज की मान्यता में रोड़ा बताया। इधर इन सभी कमियों के बावजूद एमसीआई के सदस्यों का रूख काफी सकारात्मक देख कॉलेज प्रबंधन वर्ष 2019-20 के लिए मान्यता मिलने को लेकर राहत महसूस कर रही है।

एमसीआई की 3 सदस्यीय टीम गुरुवार की सुबह अचानक मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंची। निरीक्षण से पूर्व एमसीआई ने इसकी जानकारी कॉलेज प्रबंधन को भी नहीं दी थी। सुबह 9 बजे जब टीम के सदस्य मेडिकल कॉलेज पहुंचे तो कोई भी स्टॉफ नहीं पहुंचा था। इसकी जानकारी जब डीन डॉ. पीएम लुका को दी गई तो उन्होंने तत्काल सभी डॉक्टरों को इसकी जानकारी दी।
MCI team
एमसीआई टीम के पहुंचने की जानकारी मिलते ही अधिकांश डॉक्टर अस्पताल व कॉलेज पहुंच गए। एमसीआई की तीन सदस्यीय टीम सबसे पहले निरीक्षण के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंची। वहां ओपीडी का निरीक्षण कर मरीजों की संख्या की जानकारी ली गई। इसके बाद सर्जिकल व मेडिकल वार्ड का निरीक्षण किया।
इसमें बिस्तरों की संख्या और भर्ती मरीजों का आंकड़ा टीम ने लिया। वार्ड निरीक्षण के बाद अस्पताल में उपलब्ध उपकरणों की जानकारी ली गई। प्रतिदिन अस्पताल में कितने मरीजों की सोनोग्राफी की जाती है की जानकारी ली गई। अस्पताल में कई उपकरणों को निरीक्षण के दौरान खराब पाया गया और कुछ नए उपकरणों की जरूरत महसूस की गई।

अस्पताल व कॉलेज मे एक साथ हुई हेड काउंटिंग
एमसीआई की टीम ने एक साथ मेडिकल कॉलेज व अस्पताल दोनों जगह डॉक्टरों व टीचिंग स्टॉफ के साथ ही नर्सिंग व अन्य कर्मचारियों की गिनती की। अस्पताल में क्लीनिकल स्टॉफ, नर्सिग स्टॉफ व कॉलेज में टीचिंग फैकल्टी की गिनती की गई। काउटिंग के दौरान इस बार आसपास के स्वास्थ केंद्रों से डॉक्टरों को नहीं बुलाया गया था।

24 प्रतिशत कम रही फैकल्टी
मानक के अनुसार फैकल्टी में डॉक्टरों की जितनी संख्या होनी चाहिए, उसमें लगभग 24 फीसदी कम पाई गई। कई डॉक्टर जिन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया है उनकी जगह पर कोई अन्य फैकल्टी की नियुक्ति नहीं की जा सकी है। फैकल्टी की कमी भी मान्यता के राह में एक बड़ा अडंगा बन सकता है।
इधर डॉ. आजाद भगत, डॉ. बासुदेव भट्टाचार्य, डॉ मृगेन्द्र अग्रवाल ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को इस्तीफा सौंप दिया है। इसमें से डॉ. आजाद भगत व डॉ. बासुदेव भट्टाचार्य का नोटिस पीरियड भी खत्म हो चुका है।

एमसीआई टीम में ये थे शामिल
एमसीआई टीम के चीफ को-ऑर्डिनेटर एमपी श्याम, मेडिकल कॉलेज जामनगर गुजरात के डॉ. डी. वासदा थे। उनके नेतृत्व में ही टीम निरीक्षण के लिए पहुंची थी। इसमें राजस्थान के झालावाड़ा मेडिकल कॉलेज के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ. पंकज कुमार गुप्ता व कर्नाटका के हसन इस्ट्ीटयूट मेडिकल सांइस कॉलेज के डॉ. विट्टल डीजी शामिल थे।

भवन निर्माण का दिखाया मानचित्र
एमसीआई के निरीक्षण में हर वर्ष भवन की कमी एक मुख्य वजह बनती है। हर बार भवन निर्माण की प्रक्रिया की जानकारी कॉलेज प्रबंधन द्वारा एमसीआई को दी जाती है। लेकिन इस बार निरीक्षण से पूर्व एमसीआई के टीम को भवन निर्माण के लिए तैयार किए गए मानचित्र को दिखाने के साथ ही सरकार द्वारा एक साथ 361 करोड़ रुपए की निविदा जारी किए जाने की जानकारी दी गई। यह निविदा 12 सितंबर को खुलेगी।

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