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अंबिकापुर

यहां का मेडिकल कॉलेज अस्पताल खुद ही वेंटिलेटर पर, इन चीजों की कमी का खामियाजा भुगत रहे मरीज

मेडिकल कॉलेज खुलने के बाद शासन स्तर पर सेटअप पूरा करने नहीं हुई गंभीर पहल

अंबिकापुरJan 22, 2019 / 08:44 pm

rampravesh vishwakarma

Medical college hospital

medical college

अशोक विश्वकर्मा
अंबिकापुर. मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थिति वेंटिलेटर जैसी है। इसे दुरूस्त करने के लिए वेंटिलेटर सहित कई उपकरण व विशेषज्ञ चिकित्सकों की जरूरत है, जो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पास नहीं हंै। अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन सहित अन्य जरूरी उपकरण नहीं होने के कारण इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल अभी भी स्वास्थ्य सुविधा से जुड़े आवश्यक संसाधनों की कमी से जूझ रहा है। गंभीर बीमारी का उपचार आज भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संभव नहीं है। यहां गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज के लिए रायपुर – बिलासपुर या शहर के निजी अस्पताल का रास्ता दिखाया जाता है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में संसाधन व विशेषज्ञ चिकित्सकों के न होने के कारण सही उपचार नहीं हो पाता है और इसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ता है। यहां पिछले दो वर्षों से सिटी स्कैन मशीन खराब है। मरीजों को सिटी स्कैन के लिए निजी डायग्नोस्टिक सेंटर का सहारा लेना पड़ता है।
यहां प्रतिदिन चिकित्सकों द्वारा लगभग 8-10 मरीजों को सिटी स्कैन कराने की सलाह दी जाती है। मजबूरन मरीज अधिक रुपए खर्च कर निजी अस्पताल जाकर सिटी स्कैन कराते हैं। सिटी स्कैन कराने के लिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा उन्हें एंबुलेंस तक भी उपलब्ध नहीं कराया जाता है। मजबूरीवश परिजन को मरीज को स्ट्रेचर व व्हील चेयर पर लेकर मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटर जाना पड़ता है।

स्टाफ नर्स की है कमी
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्टाफ नर्सों की कमी है। यहां प्रतिदिन इलाज के लिए सैकड़ों की संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। प्रतिदिन कई गंभीर मरीजों को भर्ती कराया जाता है। 400 बिस्तर के अस्पताल में मात्र ७२ नर्स हैं। जबकि मेडिकल कॉलेज के हिसाब से 166 नर्स की जरूरत है। फिलहाल इसकी भर्ती प्रक्रिया चल रही है।
वहीं गाइड लाइन के अनुसार जर्नल वार्ड में 5 बेड पर एक नर्स की आवश्यकता रहती है। आइसीयू के लिए एक बेड पर एक नर्स व ओटी में एक टेबल पर दो नर्स की जरूरत रहती है। जो आवश्यकता से काफी कम है। इस कारण मरीजों को व्यवस्था नहीं मिल पाती है।

अस्पताल में इन आवश्यक उपकरणों की है कमी
1. सिटी स्कैन- सिर के चोट से संबंधित होती है जांच
2. एमआरआइ- पूरे शरीर की होती है जांच
3. ईईजी– झटका और मिर्गी की जांच
4. फ्लैक्सिबल ब्रेन्कोस्कोप- छोटे बच्चों के फेफड़े में फंसे किसी भी चीज का पता लगाने में सहायक
5. वार्डों में सेंट्रल ऑक्सीजन- किसी भी मरीज की तबियत बिगड़ी तो जान बचाने में सहायक
6. इको मशीन- हृदय रोग से जुड़े जांच
7. ट्रामा सेंटर में वेंटिलेटर- जीवन रक्षक उपकरण
8. नर्सिंग स्टाफ सिर्फ 72, होने चाहिए 175, भर्ती प्रक्रिया जारी
9. ब्लड बैंक में रक्त की कमी
10. सोनोग्राफी मशीन की स्थिति भी खराब
11. डायलिसिस की सिर्फ दो मशीन, स्टाफ की कमी

वर्तमान में अस्पताल में सिर्फ ये सुविधाएं
1. ओटी
2. आइसीयू, एसएनसीयू
3. नाक-कान, गले की जांच
4. पीएफटी
5. पैथोलैब


विभागों की हकीकत
सर्जरी
चिकित्सक – 7
बेड क्षमता -120
स्थिति – रोजाना मरीज पहुंचते हैं 50 से 60
इमरजेंसी सर्जरी 20 से 25
प्रतिदिन सर्जरी 3

शिशु रोग
चिकित्सक – 7
वार्ड में बेड की संख्या -50
स्थिति – 100 से 105 मरीज होते हैं भर्ती
18 बेड का एसनएसीयू
स्थिति- एक बेड पर दो बच्चे यानी 35 से 40 बच्चे रखने को हैं मजबूर

स्त्री रोग
5 स्पेशलिस्ट डॉक्टर
5 जेआर
रोजाना पहुंचते हैं 100 मरीज
बेड की संख्या- 50
स्थिति – रोजाना डिलीवरी 20-25
सिजेरियन 6 से 7


आर्थो वार्ड
चिकित्सक – 5
बेड की क्षमता- 30
स्थिति – 50-60 मरीज आते हैं प्रतिदिन
ऑपरेशन प्रतिदिन 2 से 3 मरीज का होता है

मेडिकल वार्ड
चिकित्सक – 6
बेड की क्षमता- 72
स्थिति – 90-100 मरीज आते हैं प्रतिदिन
मरीजों को जमीन पर लेटाकर किया जाता है इलाज

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