ग्राम लवईडीह निवासी महिला देवमुनिया सोमवार को कृषि कार्य करने के लिए घुनघुट्टा डेम के डूबान क्षेत्र से होकर दूसरी तरफ भंैस को लेकर सुबह 10 बजे जा रही थी। इस दौरान उसने भैंस को नदी में छोड़ दिया और वह खुद ट्यूब के ऊपर लकड़ी रखकर दूसरी तरफ जा रही थी।
कलक्टर या एसडीएम आकर बात करें
विधायक समेत ग्रामीणों ने कहा कि उनसे या तो कलक्टर बात करें या फिर एसडीएम आकर उनकी समस्याओं की तरफ ध्यान दें। विधायक लगातार गहराई की तरफ पानी में बढ़ रहे थे। इसकी सूचना मिलते ही अंबिकापुर एसडीएम अजय त्रिपाठी मौके पर पहुंचे। उन्होंने विधायक से चर्चा की और उनकी बातों को कलक्टर किरण कौशल को मोबाइल पर दी।
4 साल में 15 की डूबकर हुई है मौत
गांव वालों ने लुण्ड्रा विधायक को कहा कि जब लवईडीह के लोगों को कोई नहीं सुनता है तो हम सभी नदी में ही डूब जाते हैं। हमारी न तो प्रशासन को चिंता है और न ही किसी जनप्रतिनिधि को। उन्होंने बताया कि पिछले चार वर्ष के दौरान यहां 15 से अधिक लोग डूबने से अपनी जान गंवा चुके हैं।
नहीं पता चला महिला का
इधर गांव वाले जल सत्याग्रह कर रहे थे तो दूसरी तरफ एसडीआरएफ की टीम महिला को पानी में डूबने वाले जगहों पर तलाश रही थी। सोमवार की सुबह 10 बजे से डूबी महिला का मंगलवार की दोपहर तक कहीं भी पता नहीं चला।
दो हिस्सों में बट गया है लवईडीह
घुनघुट्टा डेम के बनने के बाद लवईडीह का बड़ा हिस्सा बांध के डूबान क्षेत्र में आ गया है। इसकी वजह से एक ही ग्राम पंचायत दो हिस्सों में बट गया है। एक तरफ लगभग 350 लोग तथा दूसरी तरफ 500 लोग रहते हैं। हर दिन लोग अपने जरूरी काम के लिए पानी को पार कर जाते हैं। पहाड़ी नदी होने की वजह से कई बार पानी बढ़ जाता है और लोग डूब जाते हंै।
100 से अधिक महिलाएं हुईं शामिल
जल सत्याग्रह में सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्र की महिलाएं शामिल हुईं। इसमें लवईडीह के साथ पोडि़पा और अन्य क्षेत्र की काफी संख्या में महिलाएं थी। उन्होंने पुलिया निर्माण की मांग को लेकर आवाज बुलंद की।
ग्रामीणों की परेशानियों को देखते हुए दी गई थी नाव
गांव वालों की परेशानियों को देखते हुए तात्कालीन कलक्टर ऋतु सैन ने जिला पंचायत व डीएमएफ मद से कोलकाता से एक मोटर चलित नाव मंगाकर दिया था। कुछ दिनों तक इस नाव का उपयोग भी ग्रामीणों ने किया। लेकिन मैनपाट कार्निवाल के नाम पर वोट को प्रशासन द्वारा भेज दिया गया था। बाद में इसे लिबरा ग्राम पंचायत की समूह को नौकायान चलाने के नाम पर दे दिया गया।
नाव नहीं स्थायी हल की मांग
गांव वालों को एसडीएम ने कहा कि तत्काल नाव की सुविधा यहां कर दी जाएगी। इसपर ग्रामीणों ने कहा गांव के 15 बच्चे ऐसे हैं जो हर दिन सुबह पानी में पार कर दूसरी तरफ पढ़ाई करने जाते हैं और जब तक वे वापस नहीं लौट जाते परिवार वालों को उनकी चिंता सताती है। उन्हें नाव नहीं बल्कि स्थायी पुल चाहिए। इस पर सरगुजा-कोरिया विकास प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत २५ लाख रुपए से पुल निर्माण कराने की बात कही गई।