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मां ने चाय बेचकर पढ़ाया, बेटे ने 20 साल की उम्र में बीसीए द्वितीय वर्ष की लिख दी किताब

Motivational: बीसीए द्वितीय वर्ष (BCA second year) की 'लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम कंसेप्ट्स एंड लिनक्स कमांड' नामक किताब (Book) का पीजी कॉलेज के प्राचार्य (Principal) ने किया विमोचन, प्रोफसरों ने की छात्र की सराहना

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मां ने चाय बेचकर पढ़ाया, बेटे ने 20 साल की उम्र में बीसीए द्वितीय वर्ष की लिख दी किताब

Book inaugration by PG college principal

अंबिकापुर. अभावों के बीच पले-बढ़े और पढ़े बीएससी फाइनल (BCA final) के छात्र विनोद कुमार गुप्ता (Vinod Kumar Gupta) ने कड़ी मेहनत कर बीएससी द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए 'लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम कंसेप्ट्स एंड लिनक्स कमांड' नामक किताब लिखी। पति की मौत के बाद मां ने विनोद को चाय बेचकर (Sold tea) पढ़ाया-लिखाया।

किताब का अध्ययन कर प्रोफसरों ने भी इसकी सराहना की और कहा कि यह छात्रों के पाठ्यक्रम के अनुरूप है। किताब का विमोचन राजीव गांधी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसके त्रिपाठी ने करते हुए छात्र को शुभकामनाएं दी हैं।


गांधीनगर के तुर्रापानी निवासी 20 वर्षीय विनोद कुमार गुप्ता राजीव गांधी पीजी कॉलेज में बीएससी फाइनल का छात्र है। विनोद ने बताया कि 'लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम कंसेप्ट्स एंड लिनक्स कमांड' किताब लिखने का उद्देश्य इस विषय की अनुपलब्धता थी। किताब में उन सभी चीजों का समावेश किया गया है जो छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल हैं।

विनोद ने बताया कि पिछले 10 महीने की कड़ी मेहनत के बाद वह किताब को लिखने में सफल हुआ। किताब में दिए गए चित्र के लिए विशेष सॉफ्टवेयर खरीदकर उसमें चित्रों को शामिल किया। इस बुक की मुख्य विशेषता संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय (Saint Gahira Guru Vishwavidyalaya) के अनुरूप इसका पाठ्यक्रम है, जिसका लाभ विश्वविद्यालय के छात्रों को मिलेगा।

पुस्तक विमोचन के दौरान प्राचार्य डॉ. एसके त्रिपाठी के अलावा उप प्राचार्य डॉ. रिजवान सिद्दीकी, प्रोफेसर सुनील अग्रवाल, उमेश पांडेय व राजेश गुप्ता उपस्थित थे। विनोद ने बताया कि प्रोफेसर उमेश पांडेय ने इस किताब का वेरीफिकेशन किया और सबकुछ सही पाया।

चाय बेचकर पढ़ा रही मां
15 साल पहले पति के गुजर जाने के बाद मां सीता गुप्ता (Sita Gupta) अपने बड़े बेटे राजेश गुप्ता व विनोद गुप्ता (Vinod Gupta) को लेकर रोजी-रोटी की तलाश में सीतापुर क्षेत्र से गांधीनगर आईं। आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि मां अपने दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दिला सके।

युवा व्यवसायी के सहयोग से विनोद की मां ने चाय का व्यवसाय (Tea business) शुरु किया और बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा कर शिक्षा दिला रही है। आज होनहार विनोद ने खुद बीसीए फाइनल में पढ़ते हुए द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए किताब लिखी।


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