अंत में वे मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे। यहां सर्जरी विभाग के दिखाने पर पता चला कि बच्चे का पेट फूलने के कारण अंतड़ी फट चुकी थी। पांच दिन के नवजात बच्चे का आंत फटना अति दुर्लभ है।
डॉक्टरों ने परिजन को भरोसा दिलाया और नवजात का ऑपरेशन (Operation) किया। 3 घंटे तक ऑपरेशन कर नवजात की जान बचाकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों ने मिसाल पेश की है।
सूरजपुर जिले के ग्राम रनपुर निवासी अजय दास का जन्म प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र कंदरई में हुआ था। जन्म (Birth) के एक दिन बाद से उसका पेट फूलने लगा। माता-पिता नवजात को लेकर इलाज के लिए शहर के बड़े निजी अस्पताल पहुंचे। स्थिति गंभीर होने के कारण यहां से उसे रेफर कर दिया गया।
लेकिन निर्धन माता-पिता के पास इतने रुपए नहीं थे कि वह अपने कलेजे के टुकड़े को बाहर जाकर इलाज करा सकें। इस स्थिति में माता पिता अपने 5 दिन के नवजात को बचाने अंतिम आस लिए 4 नवंबर को मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Medical college hospital) पहुंचे।
यहां पहले बच्चे को एनआईसीयू (NICU) में भर्ती कराया गया और यहां के डॉक्टर ने सर्जरी विभाग को बीमारी के बारे में जानकारी दी गई। सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. एसपी कुजूर के नेतृत्व में नवजात बच्चे का उपचार शुरू किया गया। जांच में पता चला कि बच्चे के पेट की अंतड़ी फट चुकी है।
ऑपरेशन के बाद हालत में सुधार
चिकित्सकों ने बताया कि ऑपरेशन के बाद बच्चे को एनआईसीयू में रखा गया है। अब बच्चे की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। सरगुजा संभाग में नियोनेटल सर्जरी (नवजात की सर्जरी) का यह पहला केस है। जो सफल रूप से किया गया है।
पांच डॉक्टरों की टीम ने किया ऑपरेशन
चिकित्सकों ने बताया कि पांच दिन के नवजात बच्चे की अंतड़ी फटना काफी दुर्भभ (Rare) है। इसका ऑपरेशन काफी जटिल होता है। इसके बावजूद भी चिकित्सकों ने बच्चे की जान बचाने के लिए रिस्क लिया और ऑपरेशन किया।
सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. एसपी कुजूर के नेतृत्व में डॉ. संतोष उद्देश, डॉ. नितेश दुबे, डॉ. मनोज भारती, निश्चेतना विभाग के डॉ. पार्थ सारथी, डॉ. दीपा के साथ करीब 3 घंटे तक इस जटिल ऑपरेशन को किया गया।