वन विभाग द्वारा कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए हरियाली प्रसार योजना की शुरूआत की गई। इस योजना के तहत विभाग द्वारा कृषकों को पौधरोपण के लिए रुपए नहीं देकर उन्हें पौधा लगाने व उसके रख-रखाव को बढ़ावा देना था। लेकिन इस योजना का किस तरह विभाग के अधिकारियों द्वारा दुरूपयोग किया जा रहा है।
इस योजना के तहत शासन द्वारा हरियाली प्रसार योजना के तहत पौधरोपण के बाद उसके रख-रखाव हेतु कृषकों को बैंक खाते के माध्यम से रुपए का भुगतान किया जाना था। मैनपाट वन परिक्षेत्राधिकारी के कार्यालय से छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक में कृषकों के खाते में रकम जमा कराई गई है।
मैनपाट में हरियाली के नाम पर पहले भी हो चुका है कारनामा
तीन अलग-अलग मद से एक ही ग्राम ललैया में करोड़ों के पौधोरोपण तो करा दिए गए थे। लेकिन आज भी ग्राम पंचायत ललेया में हरियाली नजर नहीं आ रही है। इसका सबसे अधिक फायदा वन विभाग के वहां पदस्थ कर्मचारियों को हुआ था।
लाखों खर्च के बाद भी नहीं बढ़ी आय
इस योजना के तहत वन विभाग द्वारा वानिकी कृषि को बढ़ावा देना था। इसके लिए लाखों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन इसका फायदा आदिवासी क्षेत्र के किसानों को अब तक नहीं हुआ है। आदिवासियों की आय में कोई वृद्धि नहीं हुई है और न ही पर्यावरण में सुधार हुआ है। केवल वानिकी विस्तार के नाम से बंदरबाट हुआ है।
कहां लगे हैं पौधे
इस योजना के तहत काफी पौधे लगाए जाने की योजना बनाई जा रही है। लेकिन पूर्व में मैनपाट में जो पौधे लगाए गए और जिस स्तर के पौधे लगाने थे। उनके से आधे पौधे भी स्थल पर मौजूद नहीं है।
5 रुपए में कैसे होगी देखरेख
वन विभाग द्वारा किसी के खाते में ५ रुपए तो किसी के खाते में 10 रुपए व अधिकतम 250 रुपए जमा किया गया है। इतने कम रुपए में पौधों की देखरेख कैसे संभव है यह वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारी ही बता सकते हैं। जबकि नर्सरी में पौधों को बचाने के लिए खुद वन विभाग करोड़ों रुपए खर्च कर देता है।
ली जाएगी जानकारी
इस मामले की जानकारी कर्मचारियों से ली जाएगी। हरियाली योजना के तहत पौधरोपण को बढ़ावा देना है। इसके लिए पौधों के रखरखाव हेतु कृषकों को रुपए दिए जाने हैं।
केके बिसेन, सीसीएफ