गौरतलब है कि इस गांव के ग्रामीणें ने विधानसभा चुनाव का भी बहिष्कार किया था तथा कोई भी वोट देने नहीं पहुंचा था। प्रशासन के मान-मनौव्वल के बाद कुछ ग्रामीण ही वोटिंग करने पहुंचे थे।
नानदमाली के ग्रामीणों ने कलक्टर डॉ. सारांश मित्तर को सौंपे गए ज्ञापन में बताया है कि पंचायत में अधिकांश अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग निवासरत हैं। जिनके जीविकोपार्जन का मुख्य व्यवसाय कृषि है, लेकिन सिंचाई की सुविधा नहीं होने के कारण खरीफ व रबी की फसल की खेती नहीं हो पाती है,
गांव में करोड़ों की लागत से बने स्टाप डेम में बारिश के जल का समुचित मात्रा में भराव नहीं हो पाता है, क्योंकि स्टाप डेम की ऊंचाई सही मानक में नहीं की गई है। स्टाप डेम में जल भराव से ज्यादा रेत का भराव हो गया है। ग्रामीणों ने उक्त बांध की ऊंचाई बढ़ाने की मांग की है या फिर बड़ा बांध बनाने की। इसके अलावा ग्रामीणों ने गांव में पुल-पुलिया का अभाव, बी वन, खसरा दुरूस्त नहीं होना,
सहकारी समिति के 30 किलोमीटर दूर कर्रा में होने, खेल मैदान की कमी सहित अन्य समस्याओं से अवगत कराया गया। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि हमारा ग्राम पंचायत विधायक वर्ष 2015-16 में विधायक आदर्श ग्राम घोषित किया गया था, लेकिन क्षेत्र के विधायक ने गांव के विकास की ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
विधायक आदर्श ग्राम लिख देने से नहीं बन जाता आदर्श ग्राम
ग्रामीणों ने बताया है कि केवल शासकीय दस्तावेजों व गांव के एक दीवार पर विधायक आदर्श ग्राम लिख देने से कोई भी ग्राम विधायक आदर्श ग्राम नहीं बन जाता है। इस गांव में आदर्श के जैसा कोई भी विकास कार्य नहीं हुआ है।
ग्रामीणों ने बताया कि इन्हीं समस्याओं की वजह से ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया था, अगर हमारी समस्याओं का निराकरण जल्द नहीं किया गया तो आगामी लोकसभा व पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा।