टीबीसीएल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा अंबिकापुर-रायगढ़ एनएच 43 का निर्माण कार्य कछुआ गति से किया रहा है। ऐसे में लोग तो परेशान हैं ही, साथ ही निर्माण कार्य के दौरान उक्त मार्ग पर कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। अधिकारियों व मंत्रियों का निर्देश भी निर्माण एजेंसी द्वारा हवा में उड़ाया जा रहा है।
लुचकी घाट व चेंद्रा के बीच स्थित लालमाटी के पास पुलिया का निर्माण कार्य भी चल रहा है। इसमें जशपुर जिले के बगीचा सारुढाब निवासी आनंद राम नागेश पिता रोन्हा 28 वर्ष व डब्लू मजदूरी कर रहे थे। शनिवार को काम खत्म कर रात में दोनों पुलिया के पास ही सडक़ से नीचे तंबू लगाकर हर दिन की भांति सो रहे थे।
इसी दौरान देर रात अंबिकापुर से बतौली की ओर जा रही स्कॉर्पियो क्रमांक सीजी 29 एबी- 4125 के चालक ने तंबू पर वाहन चढ़ा दिया। हादसे में मजदूर आनंद राम नागेश की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि डब्लू गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
यहां आईसीयू में उसका इलाज जारी है। इधर हादसे के बाद उसमें सवार लोग स्कॉर्पियो वहीं छोडक़र फरार हो गए। पुलिस ने स्कॉर्पियो जब्त कर चालक के खिलाफ अपराध दर्ज कर लिया है।
धीमी गति से चल रहा एनएच का निर्माण
टीबीसीएल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा एनएच-43 का निर्माण काफी लंबे समय से किया जा रहा है, इसके बावजूद काम जगह-जगह अधूरा है। सडक़ निर्माण नहीं होने से इस मार्ग पर रोज आवागमन करने वाले वाहन चालक परेशान हैं।
धीमी गति से चल रहा एनएच का निर्माण
टीबीसीएल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा एनएच-43 का निर्माण काफी लंबे समय से किया जा रहा है, इसके बावजूद काम जगह-जगह अधूरा है। सडक़ निर्माण नहीं होने से इस मार्ग पर रोज आवागमन करने वाले वाहन चालक परेशान हैं।
नाराज लोगों द्वारा कई बार चक्काजाम भी किया जा चुका लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। मंत्री से लेकर अधिकारी तक निर्माण कार्य जल्द पूरा करने के निर्देश कंपनी को देते रह गए लेकिन काम में तेजी नहीं आई।
उड़ती रहती है धूल, पानी का छिडक़ाव नहीं
निर्माणाधीन एनएच पर वाहनों के आवागमन के कारण धूल का गुबार उड़ता रहता है, इसके बावजूद निर्माण एजेंसी द्वारा पानी का छिडक़ाव नहीं किया जाता है। जबकि इस मार्ग पर हर दिन शहर से 200 से भी अधिक शिक्षक व अन्य अधिकारी-कर्मचारी ड्यूटी करने क्षेत्र के स्कूलों व ऑफिसों में जाते हैं।
क्षेत्र के लोगों का कहना है कि उड़ती धूल के कारण कुछ नजर नहीं आता है, ऐसे में कई दुर्घटनाएं हो चुकी है। रात में हुई दुर्घटना भी उड़ती धूल का ही परिणाम है।