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अंबिकापुर

Breaking : छत्तीसगढ़-झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बने इस कुख्यात नक्सली ने किया सरेंडर, इन वारदातों में था हाथ, सरेंडर की बताई ये वजह

पुलिस ने रखा था 25 लाख रुपए का इनाम, छत्तीसगढ़-झारखंड बॉर्डर स्थित बूढ़ापहाड़ था इसका गढ़, 3 राज्य की एरिया कमेटी का रह चुका है सदस्य

अंबिकापुरSep 13, 2018 / 08:36 pm

rampravesh vishwakarma

Maoist Veersai surrendered

Maoist Veer sai surrendered

अंबिकापुर. छत्तीसगढ़, बिहार व झारखंड पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके कुख्यात माओवादी वीरसाय ने झारखंड के पलामू में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। इस पर २५ लाख का इनाम था। झारखंड व छत्तीसगढ़ के बार्डर बूढ़ापहाड़ इसका गढ़ था और कुख्यात माओवादी अरविंद के साथ मिलकर उसने कई वारदातों को अंजाम दिया था।
अरविंद की मौत बीमारी से हो चुकी है। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सामरी थाना क्षेत्र में भी वीरसाय के दस्ते ने कई वारदात को अंजाम दिया है, उसके आत्मसमर्पण से बलरामपुर पुलिस ने भी राहत की सांस ली है।

गौरतलब है कि झारखंड के साथ ही छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में खौफ का पर्याय बन चुके कुख्यात माओवादी वीरसाय ने झारखंड के पलामू पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। वीरसाय पर 25 लाख का इनाम था। उसने कुख्यात माओवादी अरविंद के साथ मिलकर बूढ़ापहाड़ में बेस कैंप बनाकर रखा था।
यह इलाका माओवादियों ने इतना सुरक्षित बनाकर रखा था कि कई बार छत्तीसगढ़ व झारखंड पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन चलाने के बावजूद फोर्स अब तक नहीं पहुंच पाई थी। बल्कि माओवादियों ने यहां बिछाए गए आइइडी को ब्लास्ट कर फोर्स को काफी नुकसान पहुंचाया।
वीरसाय के दस्ते ने कई बार बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सरहदी क्षेत्र में सड़क निर्माण कंपनी में लगे वाहनों में आगजनी व कर्मचारियों के साथ मारपीट व अन्य वारदातों को अंजाम दिया है। लेकिन अभी कुछ ही महीने पूर्व माओवादी अरविंद की बीमारी से मौत के बाद उसका संगठन कमजोर हो गया है।

दस्ते को बूढ़ापहाड़ भी खाली करना पड़ा
वीरसाय ने गुरुवार को पलामू में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उसने पुलिस को बताया कि अरविंद की मौत के बाद संगठन में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। कई माओवादियों ने दस्ता छोड़ दिया है, जबकि दस्ते को बूढ़ापहाड़ भी खाली करना पड़ा है। वीरसाय का कहना है कि अरविंद की मौत से लगे झटके से माओवादी संगठन का उबर पाना मुश्किल है।

तीन राज्य की एरिया कमेटी का रह चुका है सदस्य
वीरसाय माओवादियों के झारखंड, बिहार और उत्तरी छतीसगढ़ एरिया कमेटी का सदस्य रह चुका है और मिलिट्री विंग का सचिव था। वीरसाय माओवादी संगठन में अरविंद के बाद दूसरा सबसे बड़ा कमांडर था। बूढ़ापहाड़ को माओवादियों ने 2014 से अपना बेस कैंप बनाया हुआ था। यहीं से झारखंड, बिहार और उत्तरी छत्तीसगढ़ के इलाके में माओवाद गतिविधि का संचालन होता था।

कुसमी व सामरी में 12 प्रकरण हैं दर्ज
कुख्यात माओवादी वीरसाय का बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सरहदी क्षेत्रों में भी काफी खौफ रहा है। वह अपने दस्ते के साथ इस इलाके में वर्ष 2002 से ही सक्रिय रहा है। कुसमी थाना क्षेत्र में वीरसाय के खिलाफ वर्ष 2002 से 2011 के बीच कुल 8 आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। इसमें हत्या के प्रयास, डकैती, आगजनी सहित अन्य संगीन मामले हैं।
वहीं सामरी थाना क्षेत्र के चुनचुना में वर्ष 2015 में सरपंच पति की हत्या, वर्ष 2017 में पीपरढाबा में आइइडी ब्लास्ट कर जवानों को घायल करने तथा वर्ष 2018में पुंदाग स्थित बाक्साइट माइंस में वाहनों में आगजनी, कांटा घर उड़ाने तथा इसी साल बंदरचुआं के आगे सड़क निर्माण कार्य में लगे वाहनों में आगजनी तथा दो कर्मचारियों के अपहरण का मामला दर्ज है।

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