गौरतलब है कि झारखंड के साथ ही छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में खौफ का पर्याय बन चुके कुख्यात माओवादी वीरसाय ने झारखंड के पलामू पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है। वीरसाय पर 25 लाख का इनाम था। उसने कुख्यात माओवादी अरविंद के साथ मिलकर बूढ़ापहाड़ में बेस कैंप बनाकर रखा था।
दस्ते को बूढ़ापहाड़ भी खाली करना पड़ा
वीरसाय ने गुरुवार को पलामू में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। उसने पुलिस को बताया कि अरविंद की मौत के बाद संगठन में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। कई माओवादियों ने दस्ता छोड़ दिया है, जबकि दस्ते को बूढ़ापहाड़ भी खाली करना पड़ा है। वीरसाय का कहना है कि अरविंद की मौत से लगे झटके से माओवादी संगठन का उबर पाना मुश्किल है।
तीन राज्य की एरिया कमेटी का रह चुका है सदस्य
वीरसाय माओवादियों के झारखंड, बिहार और उत्तरी छतीसगढ़ एरिया कमेटी का सदस्य रह चुका है और मिलिट्री विंग का सचिव था। वीरसाय माओवादी संगठन में अरविंद के बाद दूसरा सबसे बड़ा कमांडर था। बूढ़ापहाड़ को माओवादियों ने 2014 से अपना बेस कैंप बनाया हुआ था। यहीं से झारखंड, बिहार और उत्तरी छत्तीसगढ़ के इलाके में माओवाद गतिविधि का संचालन होता था।
कुसमी व सामरी में 12 प्रकरण हैं दर्ज
कुख्यात माओवादी वीरसाय का बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के सरहदी क्षेत्रों में भी काफी खौफ रहा है। वह अपने दस्ते के साथ इस इलाके में वर्ष 2002 से ही सक्रिय रहा है। कुसमी थाना क्षेत्र में वीरसाय के खिलाफ वर्ष 2002 से 2011 के बीच कुल 8 आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। इसमें हत्या के प्रयास, डकैती, आगजनी सहित अन्य संगीन मामले हैं।