अमरीका के यूनिवर्सिटी आफ सेंट्रल फ्लोरिडा के क्लो बैरीमैन ने बताया कि अभी तक ऐसा मामला सामने नहीं आया है कि सोशल मीडिया पर ज्यादा वक्त बीताने पर मानसिक स्वास्थ्य पर कोई बुरा प्रभाव पड़ा हो। बैरीमैन ने एक रिसर्च की। इस रिसर्च में करीब 467 युवाओं को शामिल किया गया।
बैरीमैन ने सोशल मीडिया, वीडियो गेम, कामिक्स आदि इस्तेमाल करने वालो का अध्ययन किया। उन्होंने युवाओं से सवाल पूछने और उनका मूल्यांकन करने के बाद पाया कि सोशल मीडिया के ज्यादा प्रयोग से मनुष्य के मानसिक स्वास्थ्य पर असर नहीं पड़ता।
वहीं एक मनोरोग पत्रिका में प्रकाशित लेख में बेरीमैन ने लिखा कि हम इस बात से इंकार नहीं करते हैं कि कुछ आनलाइन व्यवहार सामाजिक समस्याओं से संबंधित हैं, बल्कि हमारा प्रस्ताव है कि शोध व्यक्तियों के व्यवहार पर केन्द्रित होना चाहिए, बजाय यह मान लेने के कि मीडिया सभी सामाजिक-व्यक्तिगत समस्याओं का मूल कारण है।
मानसिक तनाव व खान पान में लापरवाही से हो सकता है हार्ट अटैक
वहीं दूसरी ओर युवाओं में हृदय रोग बढ़ने की सबसे बड़ी वजह उनकी नौकरियों का टारगेट आधारित होना है। उन्हें अपना टारगेट समय पर पूरा करने के कारण हमेशा स्टे्रस बना रहता है। वे अपनी सेहत को किनारे रखकर नौकरी के लिए अत्यधिक तनाव ले रहे है, जो उन्हें हृदय रोग से पीडि़त कर रहा है। यह कहना है हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. साकेत गोयल व डॉ. अतुल राठौर का।
उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अब यह बता चुका है कि 2020 तक भारत में मौत और विकलांगता का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग होगा। खानपान में लापरवाही और व्यायाम की कमी भारत में रोग का प्रमुख कारण है। 50 साल की आयु के बाद कम से कम एक बार हृदय की पूर्ण जांच अवश्य करा लेनी चाहिए, ताकि बीमारी का समय रहते पता चल सके।