यूरोपा की बर्फीली सतह के नीचे पानी के विशाल भंडार का पता चलने के बाद वैज्ञानिक इस उपग्रह का विस्तृत अध्ययन करना चाहते हैं। वहां पानी का भंडार पृथ्वी के कुल पानी से दोगुना है। जो कोडेड संदेश भेजा जाएगा, उसमें भी ‘पानी’ लिखा होगा। संदेश की पहले ऑडियो फाइल बनाई गई और बाद में इसे तरंगों में बदला गया। यूरोपा भेजे जाने वाला यान 2.9 अरब किलोमीटर का सफर करेगा। इसके 2030 तक बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश करने की उम्मीद है। हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति कई रहस्यों से घिरा है। इस गैसीय ग्रह के बारे में ज्यादा जानने के लिए नासा ने पहले भी स्पेसक्राफ्ट भेजे हैं। ये बृहस्पति के चक्कर लगाकर उसे टटोल रहे हैं। बास्केटबॉल-कोर्ट आकार का जूनो बृहस्पति की यात्रा करने वाला आठवां यान है। इसे 2011 में लॉन्च किया गया था। इसने 4 जुलाई, 2016 को बृहस्पति की कक्षा में प्रवेश किया था।
‘ग्रेट रेड स्पॉट’ का आकार पृथ्वी से दोगुना नासा के यान जूनो ने हाल ही बृहस्पति के ‘ग्रेट रेड स्पॉट’ की तस्वीर खींची है, जो आकार में पृथ्वी से दोगुना है। यह करीब 350 साल से अस्तित्व में है। बृहस्पति के अध्ययन के लिए अंतरिक्ष में भेजे गए जूनो ने यह तस्वीर करीब 13,917 किलोमीटर दूर से ली। इसमें ग्रेट रेड स्पॉट भूरे, नारंगी और लाल छींटों से घिरा हुआ है। तस्वीर के ऊपरी भाग में बृहस्पति का क्षितिज दिखाई दे रहा है।
643 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाएं नासा का कहना है कि बृहस्पति के बादलों के नीचे करीब 300 किलोमीटर हिस्से में तूफान चल रहा है। तूफान कमजोर करने के लिए बृहस्पति पर कोई ठोस जमीन नहीं होने के कारण ग्रेट रेड स्पॉट में हवाएं करीब 643 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं। बृहस्पति के वायुमंडल में ग्रेट रेड स्पॉट उच्च दबाव वाला क्षेत्र है। इसके बारे में सबसे पहले 1979 में पता चला था।