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अमेठी

कोरोना वायरस से अगर डरेंगे तो क्या खाएंगे, कहां रहेंगे, दिहाड़ी मजदूर बोले

कोरोना-कोरोना और कोरोना। दिहाड़ी मजदूरों का पुरसाहाल कोई नहीं है। पेश है केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र से इस पर आधारित ग्राउंड रिपोर्ट।

अमेठीMar 24, 2020 / 08:10 pm

Mahendra Pratap

कोरोना वायरस से अगर डरेंगे तो क्या खाएंगे, कहां रहेंगे, दिहाड़ी मजदूर बोले

कोरोना वायरस से अगर डरेंगे तो क्या खाएंगे, कहां रहेंगे, दिहाड़ी मजदूर बोले

अमेठी. कोरोना-कोरोना और कोरोना। इस महामारी से विश्वभर मे रोना मचा है। देश और प्रदेश मे भी कोरोना को लेकर हाहाकार है। सरकारें जनता कर्फ्यू और लाक डाउन कर स्थिति को नियंत्रण करने में जुटी हैं। मास्क और सैटीलाइजर पर सियासत हो रही। संदिग्ध की धर पकड़ तेज है, लेकिन दिहाड़ी मजदूरों का पुरसाहाल कोई नहीं है। पेश है केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के संसदीय क्षेत्र से इस पर आधारित ग्राउंड रिपोर्ट।
यहां की अमेठी तहसील के रामलीला मैदान पर हर दिन मजदूर काम के लिए इकट्ठा होते हैं। प्रधानमंत्री के आह्वान पर जनता कर्फ्यू का दिन रविवार छोड़ अब यहां रोज दिहाड़ी मजदूरों का जमावड़ा वैसे ही लग रहा जैसे पूर्व मे लगता था। मंगलवार को काम लेने के लिए जमा हुए मजदूर राहुल सरोज बताते हैं कि कोरोना वायरस से डर नही लग रहा है। अगर डरेंगे तो क्या खाएंगे, कहां रहेंगे? हमारे परिवार का क्या होगा। राहुल ने ये भी बताया कि काम मे कमी नही है, काम बराबर मिल रहा है।
मजदूर गया प्रसाद यादव कहते हैं डर किस चीज का। हम लोग भूखे मर रहे हैं। हम लोग मजदूर आदमी हैं, रोज कमाने खाने वाले हैं। कमाएगे नही तो कहां से खाएंगे, और बच्चे कहां से जिलाएगे? गया प्रसाद कहते हैं सरकार 1 हजार देगी उससे हमारा पेट नही भरेगा। फिर वो हम लोगों को मिलेगा भी नही, वो बड़े-बड़े लोग खा जाएंगे।
मजदूर महमूद आलम कहते हैं कि हम लोगों को कोरोना से डर नही है। मौत अगर आ भी जाएगी तो उसको गले लगा लेंगे, हम बच्चों को भूखा रहने नही देंगे। उन्होंने कहा कि जब तक हम लोग नही निकलेगे बच्चों को खाना-पीना, राशन-पानी कहां से लाएंगे हम लोग? हम लोगों का सरकारी वेतन तो बंधा नही है के उसमे से बच्चे खाएंगे। उन्होने कहा इसमे गरीब जनता मरती है कोई बड़ा नही मरता है। और कोई गरीब आदमी किसी बीमारी से नही डरता, हम तो अपनी गरीबी मे परेशान रहते हैं।
नन्हे नाम के दिहाड़ी मजदूर ने बताया कि काम करने के लिए वो घर से आया है। तीस किलोमीटर साइकिल चलाकर आया नन्हे सवाल करता है घर पर रहे तो क्या करें और क्या खाएं?
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