Yoga for Fatty Liver : योग डायबिटीज के मैनेजमेंट का एक महत्त्वपूर्ण टूल है। जैसा कि पहले बताया गया है कि इस रोग को बहूमूत्र रोग भी कहते हैं। इसका कारण अजीर्ण या अपच को बताया गया है, जिससे लिवर अस्वस्थ हो जाता है।
Yoga for Fatty Liver : योग डायबिटीज के मैनेजमेंट का एक महत्त्वपूर्ण टूल है। जैसा कि पहले बताया गया है कि इस रोग को बहूमूत्र रोग भी कहते हैं। इसका कारण अजीर्ण या अपच को बताया गया है, जिससे लिवर अस्वस्थ हो जाता है। इस कारण चर्बी का पाचन ठीक ढंग से न होने से मोटापा बढ़ता है। इस बीमारी को ठीक होने के लिए योग की कई क्रियाओं का उपयोग सुबह, मध्यान्ह एवं सांय किया जाता है। ये सभी क्रियाएं शरीर, मन और हमारे विचारों पर प्रभाव डालती हैं।
योग विज्ञान में ऐसी मान्यता है कि सूर्यग्रंथी(पैन्क्रियाज) को योग के जरिए रिजनरेट किया जा सकता है। यह हाल ही में एक शोध में पाया गया है कि बी-सेल्स, जो पैन्क्रियाज में इंसुलिन बनाने वाले ऊतक या सेल्स हैं उन्हें दुबारा रिजनरेट किया जा सकता है। मेडिकल साइंस के अनुसार यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है। नए बी सेल्स या बीटा सेल्स का स्रोत वयस्क बी-सेल्स होता है।
इस प्रक्रिया यानी नए बी-सेल्स बनाने की क्रिया को हमारी आंतों में पाया जाने वाले पैप्टाइड जिसका नाम जीएलपी-1 है। तेज या स्टियूलेट करता है। पैप्टाइड एक अमीनो एसिड की छोटी शृंखला को कहते हैं। योग से बी-सेल्स का रिजनरेशन किया जा सकता है और योग शरीर के ऊतकों में इंसुलिन प्रतिरोध को भी कम करता है। रोग के प्रबंधन में एक मुद्रा का भी प्रयोग होता है, जो पूर्ण यौगिक प्रबंधन का छोटा-सा हिस्सा है, जिसका नाम है योग मुद्रा।
- पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठें।
- अपनी कमर के पीछे दोनों हाथ ले जाकर बाएं हाथ से दाहिने हाथ की कलाई पकड़ लें और श्वास छोड़ते हुए सामने की ओर झुककर माथा भूमि पर टेकें या फिर कितना सुखपूर्वक झुक सकते हैं।
- शुरू में सांस लेते व छोड़ते रहें, फिर पांच सेकंड रुककर पूर्वस्थिति में आ जाएं। इसे सात से दस बार तक कर सकते हैं।
- इसे दिन में 2-3 बार तक किया जा सकता है।
- इससे पाचन तंत्र मजबूत होता है।
- इसके अभ्यास से फैटी लिवर और स्पिलीन के रोग दूर होते हैं।
- इससे पैन्क्रियाज सक्रिय होता है और डायबिटीज में फायदा होता है।
- आंतें सुदृढ़ होती हैं और बी-सेल्स के नवनिर्माण में सहायक होती हैं।
अतुल व्यास
सेलिब्रिटी योग प्रशिक्षक